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सिर्फ़ जीने के लिए इक ज़िन्दगी क़िश्तों में लोग [आज जन्मदिवस पर विशेष प्रस्तुति] - द्विजेन्द्र द्विज

द्विजेन्द्र द्विज जी को साहित्य शिल्पी परिवार की ओर से जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनायें। आज प्रस्तुत है उनकी एक ग़ज़ल, उनके ही सम्मान में...

हर गली, हर मोड़ पर अब जा बँधे शर्तों में लोग
सिर्फ़ जीने के लिए इक ज़िन्दगी क़िश्तों में लोग

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परिचय:-

द्विजेन्द्र ‘द्विज’ का जन्म 10 अक्तूबर,1962 को हुआ। आपकी प्रकाशित कृतियाँ हैं : जन-गण-मन (ग़ज़ल संग्रह) प्रकाशन वर्ष-२००३। आपकी ग़ज़लें अनेक महत्वपूर्ण संकलनों का भी हिस्सा हैं।

आप की ग़ज़लें देश की सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित व आकाशवाणी से प्रसारित होती रही हैं। आप अंतर्जाल पर भी सक्रिय हैं।

नट, जमूरे, दास, बँधुआ या बने कठपुतलियाँ
नाचते हैं कैसे— कैसे वक़्त के हाथों में लोग

बीते कल को अपनी दुखती पीठ पर लादे हुए
ढो रहे हैं आने वाले कल को भी थैलों में लोग

ज़िन्दगी जब शर्त थी, जाँबाज़ वो ख़ुद बन गए
सीपियों ,शंखों की ख़ातिर खो गए लहरों में लोग

मतलबों की मंत्र—सिद्धि का असर तो देखिए
एक थे जो, रफ़्ता—रफ़्ता,बँट गए फ़िरक़ों में लोग

कितने समझौतों,निकम्मी आदतों की चादरें
ओढ़कर दुबके हुए हैं मख़मली ख़्वाबों में लोग

अब कहाँ फ़ुर्सत कि माज़ी की किताबें खोल कर
ढूँढें खुद को आज भी सूखे हुए फूलों में लोग

असलियत है असलियत ज़ाहिर तो होगी एक दिन
जा छिपें बेशक मुखौटों में या फिर परदों में लोग

ज़िन्दगी ! तुझको बयाँ करने की फ़ुर्सत अब किसे
रह गए अब तो उलझ कर राहतों ,भत्तों में लोग

लाख ‘द्विज’ जी ! आपने पाला अकेलापन मगर
फिर अचानक आन टपके आपकी ग़ज़लों में लोग

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20 टिप्पणियाँ

  1. हर गली, हर मोड़ पर अब जा बँधे शर्तों में लोग
    सिर्फ़ जीने के लिए इक ज़िन्दगी क़िश्तों में लोग

    बहुत खूब द्विजेन्द्र जी। चंद पंक्तियों में आपने हकीकत को उतार दिया है। जन्म दिवस की शुभकामनाएं।

    सादर
    श्यामल सुमन
    www.manoramsuman.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  2. द्विजेन्द्र द्विज जी को जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  3. द्विजेन्द्र द्विज जी को जन्म दिवस की शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  4. लाख ‘द्विज’ जी ! आपने पाला अकेलापन मगर
    फिर अचानक आन टपके आपकी ग़ज़लों में लोग

    जन्म दिवस की शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  5. बड़े भाई और गुरु जी को उनके जन्म दिन के मुक़द्दस मौके पे इस नाचीज के तरफ से ढेरो बधाईयाँ और शुभकामनाएं...

    अर्श

    जवाब देंहटाएं
  6. नट, जमूरे, दास, बँधुआ या बने कठपुतलियाँ
    नाचते हैं कैसे— कैसे वक़्त के हाथों में लोग

    बीते कल को अपनी दुखती पीठ पर लादे हुए
    ढो रहे हैं आने वाले कल को भी थैलों में लोग

    बहुत खूब जन्म दिवस की शुभकामना।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत अच्छी रचना।जन्मदिन की बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  8. मतलबों की मंत्र—सिद्धि का असर तो देखिए
    एक थे जो, रफ़्ता—रफ़्ता,बँट गए फ़िरक़ों में लोग

    कितने समझौतों,निकम्मी आदतों की चादरें
    ओढ़कर दुबके हुए हैं मख़मली ख़्वाबों में लोग

    अब कहाँ फ़ुर्सत कि माज़ी की किताबें खोल कर
    ढूँढें खुद को आज भी सूखे हुए फूलों में लोग

    असलियत है असलियत ज़ाहिर तो होगी एक दिन
    जा छिपें बेशक मुखौटों में या फिर परदों में लोग

    सारे शेर उद्धरित करने योग्य हैं। जन्मदिन की शुभकामना।

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  9. ज्अन्मदिन की मुबारक और बहुत अच्छी ग़ज़ल का शुक्रिया।

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  10. PRIY DWIJ JEE,
    SABSE PAHLE AAP APNE
    JANM-DIWAS KE SHUBH AVSAR MEREE
    MEREE SHUBH KAMNA AUR BADHAEE
    SWEEKAR KIJIYE.AAPKE JANM-DIWAS PAR
    AAPKEE IS BEHTREEN GAZAL KAA EK-EK
    SHER PADHKAR MUNH AUR AANKHEN HEE
    NAHIN DIL BHEE MEETHAA HO GAYAA HAI.

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  11. साहित्य शिल्पी के माध्यम से में अपने अज़ीज़
    हरमन प्यारे छोटे भाई "द्विज" को उसके जन्म् दिन पर
    शुभकामनाओं से लदा जहाज़ रवाना कर रहा हूँ
    ग़ज़ल बहुत पसंद आई हर एक शेर लाजवाब है
    दिलकश है पत्थरों के इर्द गिर्द रहने वाला नग्मा तराश
    सजीले बुत बनाता दिखाई देता है

    कुछ ऐसा ही जादू है द्विज में यह ग़ज़ल बयानी का
    उसका चाँद सा चेहरा जैसे फूल हो उजले पानी का

    मुबारिक साल गिरहा

    चाँद शुक्ला हदियाबादी
    डेनमार्क

    जवाब देंहटाएं
  12. जन्मदिन की हार्दिक शुभकामना।

    जवाब देंहटाएं
  13. जन्मदिन की शुभकामना द्विज जी।

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  14. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  15. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  16. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  17. द्विज जी
    जन्म-दिवस पर की हार्दिक शुभकामना और ढेर सारी बधाईयाँ स्वीकार करें.
    ग़ज़ल के हर शेर पर 'वाह' निकलती है.

    जवाब देंहटाएं

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