
मेले में बच्चे मचल गए- 'पापा! हमें मुखौटे चाहिए, खरीद दीजिए.'
हम घूमते हुए मुखौटों की दुकान पर पहुंचे. मैंने देखा दुकान पर जानवरों, राक्षसों, जोकरों आदि के ही मुखौटे थे.
मैंने दुकानदार से पूछा- 'क्यों भाई! आप राम. कृष्ण, ईसा. पैगम्बर, बुद्ध, राधा, मीरा, गांधी आदि के मुखौटे क्यों नहीं बेचते?'
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' नें नागरिक अभियंत्रण में त्रिवर्षीय डिप्लोमा. बी.ई.., एम. आई.ई., अर्थशास्त्र तथा दर्शनशास्त्र में एम. ऐ.., एल-एल. बी., विशारद,, पत्रकारिता में डिप्लोमा, कंप्युटर ऍप्लिकेशन में डिप्लोमा किया है।
आपकी प्रथम प्रकाशित कृति 'कलम के देव' भक्ति गीत संग्रह है। 'लोकतंत्र का मकबरा' तथा 'मीत मेरे' आपकी छंद मुक्त कविताओं के संग्रह हैं। आपकी चौथी प्रकाशित कृति है 'भूकंप के साथ जीना सीखें'। आपनें निर्माण के नूपुर, नींव के पत्थर, राम नम सुखदाई, तिनका-तिनका नीड़, सौरभ:, यदा-कदा, द्वार खड़े इतिहास के, काव्य मन्दाकिनी २००८ आदि पुस्तकों के साथ साथ अनेक पत्रिकाओं व स्मारिकाओं का भी संपादन किया है।
आपको देश-विदेश में १२ राज्यों की ५० सस्थाओं ने ७० सम्मानों से सम्मानित किया जिनमें प्रमुख हैं : आचार्य, २०वीन शताब्दी रत्न, सरस्वती रत्न, संपादक रत्न, विज्ञानं रत्न, शारदा सुत, श्रेष्ठ गीतकार, भाषा भूषण, चित्रांश गौरव, साहित्य गौरव, साहित्य वारिधि, साहित्य शिरोमणि, काव्य श्री, मानसरोवर साहित्य सम्मान, पाथेय सम्मान, वृक्ष मित्र सम्मान, आदि।
आपकी प्रथम प्रकाशित कृति 'कलम के देव' भक्ति गीत संग्रह है। 'लोकतंत्र का मकबरा' तथा 'मीत मेरे' आपकी छंद मुक्त कविताओं के संग्रह हैं। आपकी चौथी प्रकाशित कृति है 'भूकंप के साथ जीना सीखें'। आपनें निर्माण के नूपुर, नींव के पत्थर, राम नम सुखदाई, तिनका-तिनका नीड़, सौरभ:, यदा-कदा, द्वार खड़े इतिहास के, काव्य मन्दाकिनी २००८ आदि पुस्तकों के साथ साथ अनेक पत्रिकाओं व स्मारिकाओं का भी संपादन किया है।
आपको देश-विदेश में १२ राज्यों की ५० सस्थाओं ने ७० सम्मानों से सम्मानित किया जिनमें प्रमुख हैं : आचार्य, २०वीन शताब्दी रत्न, सरस्वती रत्न, संपादक रत्न, विज्ञानं रत्न, शारदा सुत, श्रेष्ठ गीतकार, भाषा भूषण, चित्रांश गौरव, साहित्य गौरव, साहित्य वारिधि, साहित्य शिरोमणि, काव्य श्री, मानसरोवर साहित्य सम्मान, पाथेय सम्मान, वृक्ष मित्र सम्मान, आदि।
वर्तमान में आप अनुविभागीय अधिकारी मध्य प्रदेश लोक निर्माण विभाग के रूप में कार्यरत हैं।
'कैसे बेचूं? राम की मर्यादा, कृष्ण का चातुर्य, ईसा की क्षमा, पैगम्बर की दया, बुद्ध की करुण, राधा का समर्पण, मीरा का प्रेम, गाँधी की दृष्टि कहीं देखने को मिले तभी तो मुखौटों पर अंकित कर पाऊँगा. आज-कल आदमी के चेहरे पर जो गुस्सा, धूर्तता, स्वार्थ, हिंसा, घृणा और बदले की भावना देखता हूँ उसे अंकित करने पर तो मुखौटा जानवर या राक्षस का ही बनता है. आपने कहीं वे दैवीय गुण देखे हों तो बताएं ताकि मैं भी देखकर मुखौटों पर अंकित कर सकूं.' -दुकानदार बोला.
मैं कुछ कह पता उसके पहले ही मुखौटे बोल पड़े- ' अगर हम पर वे दैवीय गुण अंकित हो भी जाएँ तो क्या कोई ऐसा चेहरा बता सकते हो जिस पर लगकर हमारी शोभा बढ़ सके?' -मुखौटों ने पूछा.
मैं निरुत्तर होकर सर झुकाए आगे बढ़ गया.
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12 टिप्पणियाँ
मुखौटो ने चेहरा दिखा दिया।
जवाब देंहटाएंNice Short Story
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
अगर हम पर वे दैवीय गुण अंकित हो भी जाएँ तो क्या कोई ऐसा चेहरा बता सकते हो जिस पर लगकर हमारी शोभा बढ़ सके?' -मुखौटों ने पूछा.
जवाब देंहटाएंमैं निरुत्तर होकर सर झुकाए आगे बढ़ गया.
सलिल जी कविता हो या गद्य - समान रूप से दक्ष हैं।
सार्थक
जवाब देंहटाएंकथा सम्राट मुंशी प्रेम चंद पर लिखा पुइता ठाकुर का लेख सुंदर है किसानों दशा के साथ २ उन के कम्युनिस्ट विरोधी विचार भी भुत म्ह्त्व्पून हैं उन की अम्र रचना गोदान इस का प्रत्यक्ष उदाहरन है
जवाब देंहटाएंकिस्मो वर्तमान दशा उसी सच्चाई का प्र्त्य्क्षिक्र्ण है समाज सुधर भारतीय संस्कृति या धरं का विरोध नही है उपीतु पोषक है
शुभकामनायें डॉ वेड व्यथित फरीदाबाद i
कटु सत्य .. सार्थक लघूकथा के लिये बधाई सलिल जी
जवाब देंहटाएंसलिल जी, अच्छी लघुकथा है। वैसे भी आज कौन सद्चरित्रों के मुखोटे पहनना चाहता है? भोगवादी संस्कृति में राम और कृष्ण के मुखौटे नहीं बिकते।
जवाब देंहटाएंKAB TAK CHHUPAAYE RAHTE ASLEE
जवाब देंहटाएंCHEHRA MUKHAUTE?
इस लधु कथा में यथार्थ विस्तृत विवरणों में नहीं, व्यंजनाओं, संकेतों और परिहास की तहों में है। सटीक और सार्थक।
जवाब देंहटाएंkitna bhayanak sach hai ye .kitni sunder laghu katha hai
जवाब देंहटाएंaap ko bahut bahut badhai
saader
rachana
सुन्दर |
जवाब देंहटाएंअवनीश तिवारी
ek dam sateek prahaar karti hui laghu katha. ek dam mano shamsheer ki si tez dhaar kar li ho kalam ne.
जवाब देंहटाएंbahut acchhi laghu katha.
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.