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अभिषेक तिवारी "कार्टूनिष्ट" ने चम्बल के एक स्वाभिमानी इलाके भिंड (मध्य प्रदेश्) में जन्म पाया। पिछले २३ सालों से कार्टूनिंग कर रहे हैं। ग्वालियर, इंदौर, लखनऊ के बाद पिछले एक दशक से जयपुर में राजस्थान पत्रिका से जुड़ कर आम आदमी के दुःख-दर्द को समझने की और उस पीड़ा को कार्टूनों के माध्यम से साँझा करने की कोशिश जारी है.....
7 टिप्पणियाँ
यह तो अति हो गयी.
जवाब देंहटाएंसही बात है...कुछ दिन बाद ये कंप्यूटरी बच्चे डाक व डाकू के बीच शायद ही अंतर कर पाएं
जवाब देंहटाएंBEST
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
अजी बात कुछ हजम नहीं हुई. लगता है आप बस पुराने डाक-टिकटों के बारे में जानते हैं, आज के बच्चों में क्रेज पैदा करने वाले खुशबूदार डाक -टिकटों व सोने के डाक-टिकटों के बारे में नहीं पढ़ा...नहीं तो कुछ धांसू कार्टून बनाते.
जवाब देंहटाएंकुछ समय बाद डाक टिकट देखने के लिये किसी संग्रहालय ही जाना पडेगा
जवाब देंहटाएंwaakai....maine to ek daak ticket (jo mere gaanv par based hai) ko wallpaper hi bana kar rakha hua hai....Original abhi tak dekha nahi.
जवाब देंहटाएंdhanyawaad,
vishwa deepak
Abhishekji ne bhavishya ka aaina dikhaya hai,mobile,e-mail,fax ke is yug me Dak-Ticket se nai pidhi jyada achchhe se parichit nahi hai.Rajeev Saxena,Katni.
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.