
होवे वो परमात्मा, या शैतानी दुष्ट ||
रचनाकार परिचय:-
उत्तर प्रदेश के जिला सीतापुर में १९६५ को जन्मे अम्बरीष श्रीवास्तव ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर से शिक्षा प्राप्त की है।
आप राष्ट्रवादी विचारधारा के कवि हैं। कई प्रतिष्ठित स्थानीय व राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं व इन्टरनेट की स्थापित पत्रिकाओं में उनकी अनेक रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। वे देश-विदेश की अनेक प्रतिष्ठित तकनीकी व्यवसायिक संस्थानों व तथा साहित्य संस्थाओं जैसे "हिंदी सभा", "हिंदी साहित्य परिषद्" आदि के सदस्य हैं। वर्तमान में वे सीतापुर में वास्तुशिल्प अभियंता के रूप में स्वतंत्र रूप से कार्यरत हैं तथा कई राष्ट्रीयकृत बैंकों व कंपनियों में मूल्यांकक के रूप में सूचीबद्ध होकर कार्य कर रहे हैं।
प्राप्त सम्मान व अवार्ड: "इंदिरा गांधी प्रियदर्शिनी अवार्ड २००७", "अभियंत्रणश्री" सम्मान २००७ तथा "सरस्वती रत्न" सम्मान २००९ आदि|
अच्छी संगति से बने, हिय में हरि का वास |
आसुरि संगति से हियै, हो शैतान निवास ||
संगति साधौ सोंचकर, कौन बसे हिय मांहि |
जाकी जैसी संगती, वो वैसो हो जाय ||
सत संगति सबसे भली, सज्जन रहें सुजान |
नहीं कुसंगति चाहिये, दुर्जन शूल समान ||
होवे क्यूं बेचैन तू, कर कुछ जग में काम |
सत्संगति सत्कर्म से, काया कंचन धाम ||
मानव को सम्मान दे, उसमें प्रभु का वास |
हरि प्रसन्न हों आपसे, पूरी होवे आस ||
लोभवृत्ति से दूर हों, परम प्रतापी व्यक्ति |
कर्मयोग हो साधना, संस्कार दें शक्ति ||
8 टिप्पणियाँ
Nice
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
badhiya
जवाब देंहटाएंNice poetry
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
आपकी रचना से सत्संग प्राप्त हुआ
जवाब देंहटाएंआप सभी को टिप्पणियों के लिए धन्यवाद | कृपया भविष्य में ऐसे ही उत्साहवर्धन करते रहें |
जवाब देंहटाएंसादर,
इं० अम्बरीष श्रीवास्तव
सुन्दर भाव समेटे.. शरीर मन व कर्म की विवेचना करती ..एक संपूर्ण सतसंग समेटे रचना.
जवाब देंहटाएंmujhe apkki kavita acchi lagi
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कविता
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.