जीवन के शेष वर्षों में से बंद मुठ्ठी में फंसी रेत की तरह आज एक और वर्ष फिसल गया. गढ़्चिरौली में नक्सली गुटों द्वारा मारे गये 17 पुलिसवालों के रोते विलखते परिवारॊं ... तथा टी वी पर छिड़ी नक्सल आंदोलन के पक्ष विपक्ष में बहस से आहत मन को चारो ओर पांव पसारते आतंक के वर्तमान परिवेश में मित्रों ... से मिली जन्मदिवस की शुभकामनायें कोई उत्साह न जगा सकी. उससे भी कहीं अधिक पिछले दिनों स्कूल के बच्चों में आतंकवाद पर छिड़ी बह्स में एक बच्चे के शब्द “ ...... मेरे पूर्वजों ने मेरे पीछे की पीढ़ी को एक शांत वातावरण दिया .. किन्तु आज हमारे अभिभावक समाज ने हमें चारों ओर आतंक की चीख पुकार क्यों दी है ....... यथार्थ में आतंकवाद का दोषी कौन ... क्या वो हाथ जिन्हें जन्म लेते ही बंदूक थमा दी गयी हैं अथवा वो मस्तिष्क जो अपने स्वार्थ के लिये आतंक की फैक्ट्री चलाते हैं " स्वर अब तक कानों में गूंज रहे हैं अंग्रेजी में दिये हुये भाषण की विडिओ आपके लिये शिल्पी पटल पर प्रस्तुत है इसे देखें सुने और अनुभव करें तथा बतायें कि कोई इस वातावरण में जन्मदिवस पर उत्साहित कैसे हो सकता है..
आतंकवाद का दोषी कौन
9 टिप्पणियाँ
श्रीकांत जी जन्मदिवस शुभ हो। विचारणीय हैं आपकी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंविचारोत्तेजक प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंSHRIKANT MISHRA JEE,AAPKO AAPKE
जवाब देंहटाएंJANMDIWAS PAR SHUBH KAAMNA AUR
BADHAAEE.
आप उत्साहित हों श्रीकांत जी समय बदलेगा। जन्मदिन शुभ हो।
जवाब देंहटाएंव्इडियो सोचने को मजबूर कर रहा है। जन्मदिन मुबारक श्रीकांत जी।
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की शुभकामना। बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की शुभकामना।
जवाब देंहटाएंjanmdin ki dher sari badhayee swikaar karen
जवाब देंहटाएंअग्रज प्राण शर्मा जी सुषमा दी और मा. श्री समीरलाल जी सहित आप सब मित्रों का स्नेह वर्षा के लिये हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंईश्वर करे निधि जी की कामना और विश्वास के साथ आशा भरे दृष्टिकोण से यह विश्व शीघ्र ही शांति के सागर से अभिषेक कर सके.
पुनश्च आभार सहित
सादर सप्रेम ....
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