
ये कैसे रहनुमा तुमने चुने हैं
किसी के हाथ के जो झुनझुने हैं
नीरज गोस्वामी का जन्म 14 अगस्त 1950 को जम्मू में हुआ। इंजिनियरिंग स्नातक नीरज जी लगभग 30 वर्षों के कार्यानुभव के साथ वर्तमान में भूषण स्टील मुम्बई में असिसटैंट वाइस प्रेसिडेंट के पद पर कार्यरत हैं।
बचपन से ही साहित्य पठन में इनकी रुचि रही है। अनेक जालघरों में इनकी रचनायें प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके अतिरिक्त इन्होंने अनेक नाटकों में काम किया और पुरुस्कार जीते हैं।
बचपन से ही साहित्य पठन में इनकी रुचि रही है। अनेक जालघरों में इनकी रचनायें प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके अतिरिक्त इन्होंने अनेक नाटकों में काम किया और पुरुस्कार जीते हैं।
तलाशो मत तपिश रिश्तों में यारों
शुकर करिये अगर वो गुनगुने हैं
बहुत कांटे चुभेंगे याद रखना
अलग रस्ते अगर तुमने चुने हैं
'दया' 'ममता' 'भलाई' और 'नेकी'
ये सारे शब्द किस्सों में सुने हैं
रिआया का सुनाओ दुख अभी मत,
अभी मदिरा है और काजू भुने हैं
यहाँ जीने के दिन हैं चार केवल
मगर मरने के मौके सौ गुने हैं
परिंदे प्यार के उड़ने दे 'नीरज'
हटा जो जाल नफरत के बुने हैं
14 टिप्पणियाँ
ये कैसे रहनुमा तुमने चुने हैं
जवाब देंहटाएंकिसी के हाथ के जो झुनझुने हैं
बहुत खूब नीरज जी।
झुनझुने, गुनगुने काजू भुने---मजा आया पढ कर
जवाब देंहटाएंबेहद संजीदा प्रश्नों को दिलकश अंदाज में आप सामने लाये हैं.. सभी शेर काबिले तारीफ़ और दिल को छूते हैं.
जवाब देंहटाएंNEERAJ GOSWAMI JEE KEE GAZAL BAHUT
जवाब देंहटाएंACHCHHEE LAGEE HAI.VYANGYA LIYE
HAR SHER EK SE BADHKAR EK HAI.UNHEN
MEREE HARDIK BADHAAEE.
दया' 'ममता' 'भलाई' और 'नेकी'
जवाब देंहटाएंये सारे शब्द किस्सों में सुने हैं
रिआया का सुनाओ दुख अभी मत,
अभी मदिरा है और काजू भुने हैं
तराश तराश कर लिखे हुए शेर
बहुत अच्छी ग़ज़ल, बधाई।
जवाब देंहटाएंनीरज जी की इस ग़ज़ल के क्या कहने क्या सादगी भरी ग़ज़ल कही है इन्होने सारे ही अश'आर पसंद आये ... उस्ताद शाईर जो ठहरें..
जवाब देंहटाएंअर्श
ये कैसे रहनुमा तुमने चुने हैं
जवाब देंहटाएंकिसी के हाथ के जो झुनझुने हैं
सभी शेर सार्थक और सीधे सीधे सरलता से कहे गए.
इस ग़ज़ल में बहुत बेहतर, बहुत गहरे स्तर पर एक बहुत ही छुपी हुई करुणा और गम्भीरता है।
जवाब देंहटाएंbahut sundar gazal badhayee
जवाब देंहटाएंहर शेर हर शब्द व्यंग्य से भरपूर
जवाब देंहटाएंआप सदा यूँ ही लिखते रहिए हुजूर
नीरज जी का अंदाज़े बयां ही इतना शानदार होता हीै कि शब्द एक के बाद एक जैसे अर्थों की कई कई परतें खोलते चलते हैं। खूब खूब आनंद आया
जवाब देंहटाएंनीरज जी आपका "अंदाज-ए-बयां" और ही है..बहुत प्रभावित करती है यह ग़ज़ल। दीप-पर्व की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंबहुत कांटे चुभेंगे याद रखना
जवाब देंहटाएंअलग रस्ते अगर तुमने चुने हैं
नीरज भाई का अन्दाज़े बयां सबसे अलग है। बधाई।
तेजेन्द्र शर्मा
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.