
श्रीकान्त मिश्र 'कान्त' का जन्म 10 अक्तूबर 1959 को हुआ। आप आपात स्थिति के दिनों में लोकनायक जयप्रकाश के आह्वान पर छात्र आंदोलन में सक्रिय रहे।
आपकी रचनाओं का विभिन्न समाचार पत्रों, कादम्बिनी तथा साप्ताहिक पांचजन्य में प्रकाशन होता रहा है। वायुसेना की विभागीय पत्रिकाओं में लेख निबन्ध के प्रकाशन के साथ कई बार आपने सम्पादकीय दायित्व का भी निर्वहन किया है।
वर्तमान में आप वायुसेना मे कार्यरत हैं तथा चंडीगढ में अवस्थित हैं।
बंद रोशनदान से
फूटती किरण .....
चमकती स्वर्णरेखा ......
मकड़ी के जालों पर
पड़ती है जब
स्मृति की धूप ....
कुलबुलाने लगता है
कीड़े जैसा फंसा मन
तड़प तड़प कर
दम तोड़ देता है
चंचल उन्मुक्त मन
स्मृतियां .....
सदैव नहीं होतीं
फूलों का सुखद स्पर्श
कैक्टस की तीखी चुभन
और कटुता का बिषदंश
गला देता है कई बार
सुनहरे व्यक्तित्व के
स्वर्णिम पल
स्वत्वाहूत काल कोठरी
में नूतन विचार ...
जैसे स्वच्छ बयार
मकड़ी के जाले
बुहारने लगते हैं
बिना किसी आहट के
चुपचाप ..... दबेपांव
और फिर
अवसाद की अर्गला पर
हल्की सी ... दस्तक
जीवन की सांध्य बेला में
क्या .. तुम हो.
’चिरनिद्रा’
चिरंतन सत्य ...
एक जीवंत कविता ............जो गहरे उतरी!
उत्तर देंहटाएंगहरे अर्थों वाली रचना। बधाई।
उत्तर देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
Kavita yahi hai
उत्तर देंहटाएंShakti
बहुत सुन्दर सच के करीब गहरे भाव वाली रचना है यह शुक्रिया इसको पढ़वाने के लिए
उत्तर देंहटाएंमन ke अंतर्नाद को, स्मृतियों को सुंदर शब्दों में ढाला है..बहुत अच्छी रचना..
उत्तर देंहटाएंऔर फिर
उत्तर देंहटाएंअवसाद की अर्गला पर
हल्की सी ... दस्तक
जीवन की सांध्य बेला में
क्या .. तुम हो.
’चिरनिद्रा’
चिरंतन सत्य ...
सफल अभिव्यक्ति
sundar rachna hai badhayee
उत्तर देंहटाएंश्रीकांत जी,
उत्तर देंहटाएंस्मृति की व्याख्या के लिए मन के कैनवास पर जो शब्द - चित्र आपने उभारा है, उसमे जीवन के यथार्थ के रंग दिखाई दे रहे हैं. एक दार्शनिक अभिव्यक्ति,अति सुन्दर रचना के लिए बधाई!
-----किरण सिन्धु.
सुन्दर भावों की भरपूर आवाज़ में बेहतरीन अभिव्यक्ति
उत्तर देंहटाएंsamvedanaon ko jivant karati kavita ke liye dhanyawad
उत्तर देंहटाएंस्मृतियां .....
उत्तर देंहटाएंसदैव नहीं होतीं
फूलों का सुखद स्पर्श'
बहुत खूब!
स्मृतियों पर लिखी यह कविता..बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति hai..
-आप की आवाज़ में सुनना और भी अच्छा लगा.
abhaar
सुन्दर भाव भरी रचना जिसे सस्वर सुनने में बहुत ही आनंद आया.
उत्तर देंहटाएंआपकी आवाज में कविता सुन्ने में बहुत आनंद आया . बधाई .
उत्तर देंहटाएंनिशा
स्मृतियां .....
उत्तर देंहटाएंसदैव नहीं होतीं
फूलों का सुखद स्पर्श
कैक्टस की तीखी चुभन
और कटुता का बिषदंश
गला देता है कई बार
सुनहरे व्यक्तित्व के
स्वर्णिम पल
अन्तर्मन की उहापोह से जूझती अत्यन्त गहरी अभिव्यक्ति । एक चिरन्तन सत्य !धन्यवाद इतनी सुन्दर रचना के लिये।
शशि पाधा
shrikaant ji
उत्तर देंहटाएंnamaskar
is kavita ko padhne aur sunne me jo ahsaas jaage unko main shabdo me bayan nahi kar sakta ..
Meri badhai sweekar karen..
regards
vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com
श्रीकान्त जी
उत्तर देंहटाएंकविता पढ़्ते हुये सुनना बहुत ही अच्छा लगा. आपकी कविता मन को बहुत ही गहरे तक छूती है
आभार
ज्योत्सना