
- 'हाँ; इसमें कोई संदेह नहीं है.'
- उसने व्यर्थ ही भोंकते कुत्तों का मुंह तीरों से बंद कर दिया था ?'
-हाँ बेटा.'
- दूरदर्शन और सभाओं में नेताओं और संतों के वाग्विलास से ऊबे पोते ने कहा - 'काश वह आज भी होता.'
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आपकी प्रथम प्रकाशित कृति 'कलम के देव' भक्ति गीत संग्रह है। 'लोकतंत्र का मकबरा' तथा 'मीत मेरे' आपकी छंद मुक्त कविताओं के संग्रह हैं। आपकी चौथी प्रकाशित कृति है 'भूकंप के साथ जीना सीखें'। आपनें निर्माण के नूपुर, नींव के पत्थर, राम नम सुखदाई, तिनका-तिनका नीड़, सौरभ:, यदा-कदा, द्वार खड़े इतिहास के, काव्य मन्दाकिनी २००८ आदि पुस्तकों के साथ साथ अनेक पत्रिकाओं व स्मारिकाओं का भी संपादन किया है।
आपको देश-विदेश में १२ राज्यों की ५० सस्थाओं ने ७० सम्मानों से सम्मानित किया जिनमें प्रमुख हैं : आचार्य, २०वीन शताब्दी रत्न, सरस्वती रत्न, संपादक रत्न, विज्ञानं रत्न, शारदा सुत, श्रेष्ठ गीतकार, भाषा भूषण, चित्रांश गौरव, साहित्य गौरव, साहित्य वारिधि, साहित्य शिरोमणि, काव्य श्री, मानसरोवर साहित्य सम्मान, पाथेय सम्मान, वृक्ष मित्र सम्मान, आदि। वर्तमान में आप अनुविभागीय अधिकारी, मध्य प्रदेश लोक निर्माण विभाग के रूप में कार्यरत हैं।
12 टिप्पणियाँ
सूक्षम लघु-कहानी।
जवाब देंहटाएंसलिलजी,
जवाब देंहटाएंबहुत खूब। उस बच्चे की ये मनोकामना पूरी हो जाये तो हम सभी सुखी हो जायें।
सटीक
जवाब देंहटाएंULTIMATE
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
चार पंक्तियों की बडी कहानी।
जवाब देंहटाएंगजब की रचना !!
जवाब देंहटाएंबहुत प्रभावित हुई इस लघुकथा से।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लघुकथा, बधाई।
जवाब देंहटाएंसत्य प्रस्तुत करती गजब कहानी।
जवाब देंहटाएंनेताओं के साथ आज के उन संतों का नाम लेकर आपने लघु कथा को दीर्घ कथा बना दिया है |
जवाब देंहटाएंबधाई |
अवनीश तिवारी
मुम्बई , महाराष्ट्र
लघुकथा में थोड़े से शब्दों में ही एक पूरी कथा कह दी है आपने. बड़ी सटीक प्रभावशाली है.
जवाब देंहटाएंएकलव्य के सभी पाठकों को बहुत-बहुत धन्यवाद. आपका उत्साहवर्धन ही लेखन का पुरस्कार है.
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.