
छोटी-मोटी बात पे रोना ठीक नहीं|
गुमसुम तन्हा क्यों बैठे हो सब पूछें
इतना भी संज़ीदा होना ठीक नहीं
कुछ और सोच ज़रिया उस को पाने का
जंतर-मंतर जादू-टोना ठीक नहीं
अब तो उस को भूल ही जाना बेहतर है
सारी उम्र का रोना-धोना ठीक नहीं
मुस्तक़बिल के ख़्वाबों की भी फिक्र करो
यादों के ही हार पिरोना ठीक नहीं
दिल का मोल तो बस दिल ही हो सकता है
हीरे-मोती चांदी-सोना ठीक नहीं
कब तक दिल पर बोझ उठाओगे ‘परवाज़’
माज़ी के ज़ख़्मों को ढोना ठीक नहीं
11 टिप्पणियाँ
achhi rchna hai
जवाब देंहटाएंjkhm kurede kyon yaro is dil ke hain
jkhmon pr ye nmk lgana thiknhi
dr. ved vyethit
मुस्तक़बिल के ख़्वाबों की भी फिक्र करो
जवाब देंहटाएंयादों के ही हार पिरोना ठीक नही,
badhiya gazal..har pankti behtareen..dhanywaad
बहुत अच्छी गज़ल...बधाई।
जवाब देंहटाएंकुछ और सोच ज़रिया उस को पाने का
जवाब देंहटाएंजंतर-मंतर जादू-टोना ठीक नहीं..
मुस्तक़बिल के ख़्वाबों की भी फिक्र करो
यादों के ही हार पिरोना ठीक नही,...
सुन्दर ग़ज़ल
कुछ और सोच ज़रिया उस को पाने का
जवाब देंहटाएंजंतर-मंतर जादू-टोना ठीक नहीं
अब तो उस को भूल ही जाना बेहतर है
सारी उम्र का रोना-धोना ठीक नहीं
लाजवाब गज़ल जतिन्दर प्रवाज़ जी को बधाई
वाह बहुत खूब । एक एक शेर सुन्दर हैं ।
जवाब देंहटाएंदिल का मोल तो बस दिल ही हो सकता है
जवाब देंहटाएंहीरे-मोती चांदी-सोना ठीक नहीं
मगर वक्त बदला हुआ है आजकल.
ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी, बधाई .
के एस एस कन्हैया
दिल का मोल तो बस दिल ही हो सकता है
जवाब देंहटाएंहीरे-मोती चांदी-सोना ठीक नहीं
बहुत खूब।
अब तो उस को भूल ही जाना बेहतर है
जवाब देंहटाएंसारी उम्र का रोना-धोना ठीक नहीं
lajawaab ... jitinder parwaaz saahab ki galen kamaal ki hain ....
SUNDAR RACHNA KI BADHAYEE
जवाब देंहटाएंhkhjkhkhjkjkhjkhjkhjkhjkhjkhjkhjkhjkhjkhjkhjkhjkhjkhjkhjkhjkhjkhjkhjkhjkhkjhjkhjkhjkhjkhjjkhhhhjkhjkjkhjkjkjkjkjkjkhjkjhkjkjhjkhjkjkhkhkjhkjhjkh
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.