
एक सपने में कोई आधी -अधूरी आस जगी
कहीं किसी खेत में सरसों की उवास चली
मेरे साँसों में तेरी सांस कैसे मिली ....
तुमने मुझे पुकारा तो नहीं जांना .....
विजय कुमार सपत्ति के लिये कविता उनका प्रेम है। विजय अंतर्जाल पर सक्रिय हैं तथा हिन्दी को नेट पर स्थापित करने के अभियान में सक्रिय हैं। आप वर्तमान में हैदराबाद में अवस्थित हैं व एक कंपनी में वरिष्ठ महाप्रबंधक के पद पर कार्य कर रहे हैं।
ज़िन्दगी की राह बदल गयी....
आसमान से एक बादल का टुकडा टुटा
तेरे नाम से उसने मेरा पता पुछा ..
तुमने मुझे पुकारा तो नहीं जांना ...
मेरे तन से तेरी खुशबू कैसे छूटी.......
मिटटी की गंध ने तेरे घर का पता दिया
मेघो ने तेरे आंसुओ पर मेरा नाम लिखा ..
तुमने मुझे पुकारा तो नहीं जांना ...
मेरे लबो पर तेरे होंठो की ये मुहर कैसी ..
सूरज की किरणों ने एक जाल बुना
चाँद ने उस पर सितारों की चादर बिछाई ..
तुमने मुझे पुकारा तो नहीं जांना ...
मेरे साये की तस्वीर में तेरा रंग ये कैसा...
कि , एक बैचेनी सी आँखों में है छायी ..
कि , मन ने कहा , तू बहुत उदास है ..
कि , तुमने मुझे पुकारा तो नहीं जांना .....
क्योंकि ; मैंने भी तुझे याद किया है….
हाँ , मैंने भी तुम्हे बहुत याद किया है !!!
12 टिप्पणियाँ
जन्मदिन की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंएसी कवितायें ट्रेडमार्क हैं विजय जी की। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंविजय जी जन्मदिन की ढेरों शुभकामनायें। एसे ही कोमल-काव्य-सुधा बरसाते रहें।
जवाब देंहटाएंHappy B'Day
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
सुन्दर रचना और जन्मदिन के लिए बधाई |
जवाब देंहटाएंअवनीश तिवारी
Khubsurat ehsaas ne bhari sundar kavita...badhayi vijay ji..
जवाब देंहटाएंविजय भाई को स स्नेह आशिष
जवाब देंहटाएंऐसी ही मधुर कवितायेँ लिखते रहे
स्नेह ,
- लावण्या
विजय जी जन्मदिन की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना, जन्मदिन की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंsundar rachna aur janmdin ki badhayee
जवाब देंहटाएंजन्मदिन बहुत बहुत मुबारक हो...
जवाब देंहटाएंविजय जी को जन्मदिन की बधाई.
जवाब देंहटाएंसुन्दर काव्य सुधा बरसाने के लिए साधुवाद!!
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.