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मेरे होने का बोध [कविता] - मोहिन्दर कुमार



रचनाकार परिचय:-

मोहिन्दर कुमार का जन्म 14 मार्च, 1956 को पालमपुर, हिमाचल प्रदेश में हुआ। आप राजस्थान यूनिवर्सिटी से पब्लिक- एडमिन्सट्रेशन में स्नातकोत्तर हैं।

आपकी रचनायें विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं साथ ही साथ आप अंतर्जाल पर भी सक्रिय हैं। आप साहित्य शिल्पी के संचालक सदस्यों में एक हैं। वर्तमान में इन्डियन आयल कार्पोरेशन लिमिटेड में आप उपप्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं।

मैं सागर नहीं
परन्तु
तनिक वैसा ही उद्वेलित
सीमाओं के अतिक्रमण की
व्यर्थ चेष्टा में
अपने बल उर्जा के
ह्रास का प्रयाय बन
मिथ्या कल्पना के
आकाश में गमन करता
सत्य के ठोस धरातल पर
माथा पटकता
भाग्य रूपी वायुवेग के
निर्देश पर गतिमान
मनोभावों के ज्वालामुखी
अन्तर्मन में समेटे
धधकते लावे पर
संयम की धार डाल
किसी झंझावत की प्रतीक्षा में
जिसकी दिशा सामान्तर हो
मेरे मन के मौसम से
और जो जा ठहरे
ऐसे किसी टापू पर
जिसका अस्तित्व दे सके
मुझे मेरे खोने से पहले
मेरे होने का बोध.

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11 टिप्पणियाँ

  1. kuchh hone ka bodh bhut sundr hai
    mit jaye astitv yh mushkil hai khob ubl kr lava jb dhdhkega
    vh kshn hi to jivn dhan hai
    dr. ved vyathit

    जवाब देंहटाएं
  2. मेरे मन के मौसम से
    और जो जा ठहरे
    ऐसे किसी टापू पर
    जिसका अस्तित्व दे सके
    मुझे मेरे खोने से पहले
    मेरे होने का बोध.

    बहुत अच्छी रचना।

    जवाब देंहटाएं
  3. अति बौद्धिक रचना है साथ ही जीवन का सत्य है

    जवाब देंहटाएं
  4. मोहिंदर जी,
    आपकी कविता में "स्व" का मंथन है. प्रत्येक शब्द अभिप्राय से बँधे हुए हैं. एक आम आदमी की मनोव्यथा की गरिमामयी प्रस्तुति.इस सारगर्भित, उच्चस्तरीय रचना के लिए बधाई स्वीकार करें.
    .----किरण सिन्धु.

    जवाब देंहटाएं
  5. किसी झंझावत की प्रतीक्षा में
    जिसकी दिशा सामान्तर हो
    मेरे मन के मौसम से
    और जो जा ठहरे
    ऐसे किसी टापू पर
    जिसका अस्तित्व दे सके
    मुझे मेरे खोने से पहले
    मेरे होने का बोध.
    adhbhut kavita.

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीय मोहिंदर जी,
    इस उच्च स्तरीय सारगर्भित रचना के लिए बधाई स्वीकार करें |
    अम्बरीष श्रीवास्तव

    जवाब देंहटाएं
  7. स्तरीय कविता। आत्म मंथन को उद्वेलित करती है।

    जवाब देंहटाएं
  8. Mohinder ji tuhan di kavita padi ne minjo jitni khushi hoi tisa te jayada khoshi eh janine hoi ki tuhan bhee apne paase de han. Sunder kavita layi ek baari pher tuhan jo saare pradesha valo Badhai .

    जवाब देंहटाएं

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