
10 जनवरी 1960 को चैनपुर (जिला सहरसा, बिहार) में जन्मे श्यामल सुमन में लिखने की ललक छात्र जीवन से ही रही है। स्थानीय समाचार पत्रों सहित देश की कई पत्रिकाओं में इनकी अनेक रचनायें प्रकाशित हुई हैं। स्थानीय टी.वी. चैनल एवं रेडियो स्टेशन में भी इनके गीत, ग़ज़ल का प्रसारण हुआ है।
अंतरजाल पत्रिका साहित्य कुंज, अनुभूति, हिन्दी नेस्ट, कृत्या आदि में भी इनकी अनेक रचनाएँ प्रकाशित हैं।
इनका एक गीत ग़ज़ल संकलन शीघ्र प्रकाश्य है।
अगर तू बूँद स्वाती की, तो मैं इक सीप बन जाऊँ
कहीं बन जाओ तुम बाती, तो मैं इक दीप बन जाऊँ
अंधेरे और नफरत को मिटाता प्रेम का दीपक
बनो तुम प्रेम की पाँती, तो मैं इक गीत बन जाऊँ
तेरी आँखों में गर कोई, मेरी तस्वीर बन जाये
मेरी कविता भी जीने की, नयी तदबीर बन जाये
बडी मुश्किल से पाता है कोई दुनियाँ में अपनापन
बना लो तुम अगर अपना, मेरी तकदीर बन जाये
भला बेचैन क्यों होता, जो तेरे पास आता हूँ
कभी डरता हूँ मन ही मन, कभी विश्वास पाता हूँ
नहीं है होंठ के वश में जो भाषा नैन की बोले
नैन बोले जो नैना से, तरन्नुम खास गाता हूँ
कई लोगों को देखा है, जो छुपकर के गजल गाते
बहुत हैं लोग दुनियाँ में, जो गिरकर के संभल जाते
इसी सावन में अपना घर जला है क्या कहूँ यारो
नहीं रोता हूँ फिर भी आँख से, आँसू निकल आते
है प्रेमी का मिलन मुश्किल, भला कैसी रवायत है
मुझे बस याद रख लेना, यही क्या कम इनायत है
भ्रमर को कौन रोकेगा सुमन के पास जाने से
नजर से देख भर लूँ फिर, नहीं कोई शिकायत है
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10 टिप्पणियाँ
Behatareen kavita ka purn paath..ek sundar ehsaas se saji sundar kavita..
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण सुन्दर कविता !!
जवाब देंहटाएंशामल जी,
जवाब देंहटाएं"नहीं है होंठ के वश में जो भाषा नैन की बोले" ----इन शब्दों ने मन मोह लिया. प्रेम की पवित्रता की भावनापूर्ण अभिव्यक्ति ने आपकी कविता को विशिष्ट बना दिया है. बधाई!
---किरण सिन्धु
Nice Poem
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
atyant uttam kavita.......
जवाब देंहटाएंbadhaai !
sundar kavita ke liye badhayee
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता... बधाई
जवाब देंहटाएंbahut achhi kavita
जवाब देंहटाएंकिया समर्थन आपने दिया बहुत ही प्यार।
जवाब देंहटाएंनम्र भाव से सुमन का प्रेषित है आभार।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
अगर तू बूँद स्वाती की, तो मैं इक सीप बन जाऊँ
जवाब देंहटाएंकहीं बन जाओ तुम बाती, तो मैं इक दीप बन जाऊँ
अंधेरे और नफरत को मिटाता प्रेम का दीपक
बनो तुम प्रेम की पाँती, तो मैं इक गीत बन जाऊँ nice
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