
बनाकर अपनी दुनिया को उसे बर्दाश्त भी करना
खुदा मेरे, मैं तेरे हौसले की दाद देता हूँ
परिंदे ने कहा तू कैद रख या कर रिहा मुझको
मैं अपनी ज़िन्दगी का हक़ तुझे, सैय्याद देता हूँ
मैं दुःख से घिर गया तो गैब से आवाज ये आयी
सुखों की छावं मैं अक्सर दुखों के बाद देता हूँ
तेरी यादों के पंछी जिस चमन में चहचहाते हैं
लहू से सींच कर उसको वफ़ा की खाद देता हूँ
9 टिप्पणियाँ
बनाकर अपनी दुनिया को उसे बर्दाश्त भी करना
जवाब देंहटाएंखुदा मेरे, मैं तेरे हौसले की दाद देता हूँ
बहुत सुन्दर
तेरी यादों के पंछी जिस चमन में चहचहाते हैं
जवाब देंहटाएंलहू से सींच कर उसको वफ़ा की खाद देता हूँ
बहुत अच्छी ग़ज़ल।
Nice GaZal.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
हर शेर उम्दा और उत्कृष्ट।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना, बधाई।
जवाब देंहटाएंउम्दा शेर..!!
जवाब देंहटाएंbahut hi umda gazal
जवाब देंहटाएंAMIT YADAV
जवाब देंहटाएंbahut sunder apka baht baht dhanywad deepak ji ati sunder jai siya ram
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.