
वर्ष 2009 जाते जाते हिन्दी जगत की अपूर्णीय क्षति कर गया है। प्रखर पत्रकार और प्रसिद्ध लेखक राजेन्द्र अवस्थी आज पंचतत्व में लीन हो गये। वे 79 वर्ष के थे और लम्बे समय से बीमार चल रहे थे।
मध्य प्रदेश के गढा जबलपुर में 25 जनवरी, 1930 को जन्मे श्री राजेन्द्र अवस्थी नवभारत, सारिका, नंदन, साप्ताहिक हिन्दुस्तान और कादम्बिनी के संपादक रहे। उन्होंने कई चर्चित उपन्यासों, कहानियों एवं कविताओं की रचना की। वह ऑथर गिल्ड आफ इंडिया के अध्यक्ष भी रहे। दिल्ली सरकार की हिन्दी अकादमी ने उन्हें 1997-98 में साहित्यिक कृति से सम्मानित किया था।
उनके उपन्यासों में सूरज किरण की छांव, जंगल के फूल, जाने कितनी आंखें, बीमार शहर, अकेली आवाज और मछलीबाजार शामिल हैं। मकड़ी के जाले, दो जोड़ी आंखें, मेरी प्रिय कहानियां और उतरते ज्वार की सीपियां, एक औरत से इंटरव्यू और दोस्तों की दुनिया उनके कविता संग्रह हैं जबकि उन्होंने ‘जंगल से शहर तक’ नाम से यात्रा वृतांत भी लिखा है।
साहित्य शिल्पी परिवार राजेन्द्र अवस्थी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
(समाचार लाईव हिन्दुस्तान डॉट कॉम से साभार)
5 टिप्पणियाँ
विनम्र श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंअत्यन्त दुखद ! विनम्र श्रद्धांजलि ।
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंएक बहुत ही दुख भरा समाचार...सादर श्रद्धांजलि!!!
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.