

दहशत से डरी हुई ज़िंदगी.
कभी दिल का दामन,कभी मन की शक्ति,
कभी उनका कहना,कभी अपनी युक्ति.
भटकते रहे हम यहाँ से वहाँ तक,
ना समाधान पाया और ना पायी मुक्ति.
तमाम कोशिशें बेकार हो रहीं,
नाउम्मीदियों से भरी हुई ज़िंदगी.
कहाँ से चले थे, कहाँ आ गए हम,
नहीं मालूम आगे कहाँ तक है जाना,
मन की थकन से टूटती साँसें,
कैसे होगा पूरा सफ़र अनजाना.
घुमावदार राहें और गहराती साँझ,
दुविधा के मोड़ पर ठहरी हुई ज़िंदगी.
उपरवाले की कृपा समझ ली,
जीवन में मैंने जब भी कुछ पाया,
मगर हादसों ने जब तोडी हिम्मत,
पूर्वजन्म का कर्मफल कहलाया.
पहेली बनकर मथती है मन को,
बेबस सी सहमी - सिहरी हुई ज़िंदगी.
मन की छवि जब कागज़ पर उतरी,
चितेरे ने उसमें रंग भरना चाहा,
मनमोहक रंगों में कूची डुबोकर,
अपनी कल्पना को साकार करना चाहा.
मगर जानता कहाँ था चितेरा,
बेरंग होगी धुली हुई ज़िंदगी.
कोई शंख शान्ति का फूँक देता,
कोई तो पुकार राहत की होती,
कोई दिव्य - रश्मि दिशाओं से आकर,
ह्रदय के तिमिर में जला देती ज्योति.
कोई मसीहा आकर थाम लेता,
जीने की ललक से भरी हुई ज़िंदगी.
6 टिप्पणियाँ
जिन्दगी पर बहुत सुन्दर पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंसार्थक कविता
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता, बधाई।
जवाब देंहटाएंकोई शंख शान्ति का फूँक देता,
जवाब देंहटाएंकोई तो पुकार राहत की होती,
कोई दिव्य - रश्मि दिशाओं से आकर,
ह्रदय के तिमिर में जला देती ज्योति.
कोई मसीहा आकर थाम लेता,
जीने की ललक से भरी हुई ज़िंदगी.
सुन्दर अभिव्यक्ति
प्रस्तुत कविता लेखिका की सोक और उनका दर्शन प्रस्तुत करती है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत भाव.. कोई मसीहा आकर थाम लेता,जीने की ललक से भरी हुई ज़िंदगी.
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.