
रचनाकार परिचय:-
वर्तमान में फरीदाबाद में निवास कर रहे अजय अक़्स एक उभरते हुए गज़लकार हैं। अब्दुल रहमान "मन्सूर" जैसे उस्ताद शायर से गज़ल की बारीकियाँ समझने वाले अक़्स विशेष रूप से छोटी बहर की गज़लें कहने में सिद्धहस्त हैं।
राह में रौशनी भी नहीं
हौसले में कमी भी नहीं
तेरे होने से है शायरी
तू नहीं शायरी भी नहीं
शेर कैसे कहे आपने
चोट दिल पे लगी भी नहीं
ज़िन्दगी में नहीं तू अगर
ज़िन्दगी ज़िन्दगी भी नहीं
ग़म जगाने हमें आ गये
नींद अपनी लगी भी नहीं
आरज़ू में कटी ज़िन्दगी
आरज़ू पर मिटी भी नहीं
हुक़्म फाँसी का दे ही दिया
बात मेरी सुनी ही नहीं
खुद को शायर वो कहने लगे
नज़्म कोई लिखी ही नहीं
5 टिप्पणियाँ
बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंराह में रौशनी भी नहीं
जवाब देंहटाएंहौसले में कमी भी नहीं
आरज़ू में कटी ज़िन्दगी
आरज़ू पर मिटी भी नहीं
वाह!!
खुद को शायर वो कहने लगे
जवाब देंहटाएंनज़्म कोई लिखी ही नहीं
बहुत अच्छी ग़ज़ल।
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.