
नव वर्ष अभिनन्दन में - शशि पाधा
दीप जलते रहें, जगमगाते रहें
जग के आँगन में खुशियों का मेला रहे
फूल खिलते रहें, मुस्कुराते रहें |
रसभीनी सी पुरवा बहे चहुँ ओर
हो पूर्ण सभी की मनोकामना
हर द्वारे पे सत रंग रंगोली सजे
हर रिश्ते में मंगल हो सद्भावना
मन रंजित रहें, नैन हर्षित रहें
सुख सुषमा का सौरभ लुटाते रहें |
यह वर्ष नया दृढ़ संकल्पों का हो,
नव निष्ठा का संबल रहे संग संग
मन मंदिर में स्नेह की ज्योति जले
हो सुबह की किरणों में नूतन उमंग
आज लहरों ने छेड़े मधु भीगे राग
गीत सुनते रहें, गुनगुनाते रहें |
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शुभकामनायें सभी को - आचार्य संजीव वर्मा "सलिल"
शुभकामनायें सभी को, आगत नवोदित साल की.
शुभ की करें सब साधना,चाहत समय खुशहाल की..
शुभ 'सत्य' होता स्मरण कर, आत्म अवलोकन करें.
शुभ प्राप्य तब जब स्वेद-सीकर राष्ट्र को अर्पण करें..
शुभ 'शिव' बना, हमको गरल के पान की सामर्थ्य दे.
शुभ सृजन कर, कंकर से शंकर, भारती को अर्ध्य दें..
शुभ वही 'सुन्दर' जो जनगण को मृदुल मुस्कान दे.
शुभ वही स्वर, कंठ हर अवरुद्ध को जो ज्ञान दे..
शुभ तंत्र 'जन' का तभी जब हर आँख को अपना मिले.
शुभ तंत्र 'गण' का तभी जब साकार हर सपना मिले.
शुभ तंत्र वह जिसमें, 'प्रजा' राजा बने, चाकर नहीं.
शुभ तंत्र रच दे 'लोक' नव, मिलकर- मदद पाकर नहीं..
शुभ चेतना की वंदना, दायित्व को पहचान लें.
शुभ जागृति की प्रार्थना, कर्त्तव्य को सम्मान दें..
शुभ अर्चना अधिकार की, होकर विनत दे प्यार लें.
शुभ भावना बलिदान की, दुश्मन को फिर ललकार दें.
शुभ वर्ष नव आओ! मिली निर्माण की आशा नयी.
शुभ काल की जयकार हो, पुष्पा सके भाषा नयी..
शुभ किरण की सुषमा, बने 'मावस भी पूनम अब 'सलिल'.
शुभ वरण राजिव-चरण धर, क्षिप्रा बने जनमत विमल..
शुभ मंजुला आभा उषा, विधि भारती की आरती.
शुभ कीर्ति मोहिनी दीप्तिमय, संध्या-निशा उतारती..
शुभ नर्मदा है नेह की, अवगाह देह विदेह हो.
शुभ वर्मदा कर गेह की, किंचित नहीं संदेह हो..
शुभ 'सत-चित-आनंद' है, शुभ नाद लय स्वर छंद है.
शुभ साम-ऋग-यजु-अथर्वद, वैराग-राग अमंद है.
शुभ करें अंकित काल के इस पृष्ट पर, मिलकर सभी.
शुभ रहे वन्दित कल न कल, पर आज इस पल औ' अभी..
शुभ मन्त्र का गायन- अजर अक्षर अमर कविता करे.
शुभ यंत्र यह स्वाधीनता का, 'सलिल' जन-मंगल वरे..
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“स्वागत है नव वर्ष का” -अम्बरीष श्रीवास्तव
ज्यों वृक्षों की डालियाँ, कोपल जनैं नवीन |
आये ये नव वर्ष त्यों , जैसे मेघ कुलीन ||
उजियारा दीखे वहाँ, जहाँ जहाँ तक दृष्टि |
सरस वृष्टि होती रहें, हरी भरी हो सृष्टि ||
सपने पूरे हों सभी, मन में हो उत्साह |
अलंकार रस छंद का, अनुपम रहें प्रवाह ||
अभियंत्रण साहित्य संग, सबल होय तकनीक |
मूल्य ह्रास अब तो रुके, छोड़ें अब हम लीक ||
गुरुजन गुरुतर ज्ञान दें, शिष्य गहें भरपूर |
सरस्वती की हो कृपा, लक्ष्य रहें ना दूर ||
सबको सब सम्मान दें, जन जन में हो प्यार |
मातु पिता से सब करें, सादर नेह दुलार ||
बड़े बड़े सब काज हों, फूले फले प्रदेश |
दुनिया के रंगमंच पर, आये भारत देश ||
कार्य सफल होवें सभी, आये ऐसी शक्ति |
शिक्षित सारे हों यहाँ, मुखरित हो अभिव्यक्ति ||
बैर भाव सब दूर हों, आतंकी हों नष्ट |
शांति सुधा हो विश्व में , दूर रहें सब कष्ट ||
प्रेम सुधा रस से भरे, राजतन्त्र की नीति |
दुःख से सब जन दूर हों, सुख की हो अनुभूति ||
सुरभित होवें जन सभी, अपनी ये आवाज़ |
स्वागत है नव वर्ष का, नित नव होवें काज ||
अनुपम आये वर्ष ये, अम्बरीष की आस ||
अब सब कुछ है आप पर, मिलकर करें प्रयास ||
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नव वर्ष सुहाना हो - डॉ. वेद व्यथित
नव वर्ष सुहाना हो
सब खुशियाँ खूब मिलें
खुशियों का खजाना हो
चाहत हों सभी पूरी
अपनों से निकट हो
मिट जाएँ सभी दूरी
मौसम भी सुहाने हों
फूलों की गंध लिए
आंगन में बहारें हों
शुभकामनायें सभी को - आचार्य संजीव वर्मा "सलिल"
शुभकामनायें सभी को, आगत नवोदित साल की.
शुभ की करें सब साधना,चाहत समय खुशहाल की..
शुभ 'सत्य' होता स्मरण कर, आत्म अवलोकन करें.
शुभ प्राप्य तब जब स्वेद-सीकर राष्ट्र को अर्पण करें..
शुभ 'शिव' बना, हमको गरल के पान की सामर्थ्य दे.
शुभ सृजन कर, कंकर से शंकर, भारती को अर्ध्य दें..
शुभ वही 'सुन्दर' जो जनगण को मृदुल मुस्कान दे.
शुभ वही स्वर, कंठ हर अवरुद्ध को जो ज्ञान दे..
शुभ तंत्र 'जन' का तभी जब हर आँख को अपना मिले.
शुभ तंत्र 'गण' का तभी जब साकार हर सपना मिले.
शुभ तंत्र वह जिसमें, 'प्रजा' राजा बने, चाकर नहीं.
शुभ तंत्र रच दे 'लोक' नव, मिलकर- मदद पाकर नहीं..
शुभ चेतना की वंदना, दायित्व को पहचान लें.
शुभ जागृति की प्रार्थना, कर्त्तव्य को सम्मान दें..
शुभ अर्चना अधिकार की, होकर विनत दे प्यार लें.
शुभ भावना बलिदान की, दुश्मन को फिर ललकार दें.
शुभ वर्ष नव आओ! मिली निर्माण की आशा नयी.
शुभ काल की जयकार हो, पुष्पा सके भाषा नयी..
शुभ किरण की सुषमा, बने 'मावस भी पूनम अब 'सलिल'.
शुभ वरण राजिव-चरण धर, क्षिप्रा बने जनमत विमल..
शुभ मंजुला आभा उषा, विधि भारती की आरती.
शुभ कीर्ति मोहिनी दीप्तिमय, संध्या-निशा उतारती..
शुभ नर्मदा है नेह की, अवगाह देह विदेह हो.
शुभ वर्मदा कर गेह की, किंचित नहीं संदेह हो..
शुभ 'सत-चित-आनंद' है, शुभ नाद लय स्वर छंद है.
शुभ साम-ऋग-यजु-अथर्वद, वैराग-राग अमंद है.
शुभ करें अंकित काल के इस पृष्ट पर, मिलकर सभी.
शुभ रहे वन्दित कल न कल, पर आज इस पल औ' अभी..
शुभ मन्त्र का गायन- अजर अक्षर अमर कविता करे.
शुभ यंत्र यह स्वाधीनता का, 'सलिल' जन-मंगल वरे..
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“स्वागत है नव वर्ष का” -अम्बरीष श्रीवास्तव
ज्यों वृक्षों की डालियाँ, कोपल जनैं नवीन |
आये ये नव वर्ष त्यों , जैसे मेघ कुलीन ||
उजियारा दीखे वहाँ, जहाँ जहाँ तक दृष्टि |
सरस वृष्टि होती रहें, हरी भरी हो सृष्टि ||
सपने पूरे हों सभी, मन में हो उत्साह |
अलंकार रस छंद का, अनुपम रहें प्रवाह ||
अभियंत्रण साहित्य संग, सबल होय तकनीक |
मूल्य ह्रास अब तो रुके, छोड़ें अब हम लीक ||
गुरुजन गुरुतर ज्ञान दें, शिष्य गहें भरपूर |
सरस्वती की हो कृपा, लक्ष्य रहें ना दूर ||
सबको सब सम्मान दें, जन जन में हो प्यार |
मातु पिता से सब करें, सादर नेह दुलार ||
बड़े बड़े सब काज हों, फूले फले प्रदेश |
दुनिया के रंगमंच पर, आये भारत देश ||
कार्य सफल होवें सभी, आये ऐसी शक्ति |
शिक्षित सारे हों यहाँ, मुखरित हो अभिव्यक्ति ||
बैर भाव सब दूर हों, आतंकी हों नष्ट |
शांति सुधा हो विश्व में , दूर रहें सब कष्ट ||
प्रेम सुधा रस से भरे, राजतन्त्र की नीति |
दुःख से सब जन दूर हों, सुख की हो अनुभूति ||
सुरभित होवें जन सभी, अपनी ये आवाज़ |
स्वागत है नव वर्ष का, नित नव होवें काज ||
अंत में सभी के लिए संदेश...........
अनुपम आये वर्ष ये, अम्बरीष की आस ||
अब सब कुछ है आप पर, मिलकर करें प्रयास ||
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नव वर्ष सुहाना हो - डॉ. वेद व्यथित
नव वर्ष सुहाना हो
सब खुशियाँ खूब मिलें
खुशियों का खजाना हो
चाहत हों सभी पूरी
अपनों से निकट हो
मिट जाएँ सभी दूरी
मौसम भी सुहाने हों
फूलों की गंध लिए
आंगन में बहारें हों
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12 टिप्पणियाँ
नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें। सभी एक से बढ कर एक रचनाए.
जवाब देंहटाएंशशि जी, सलिल जी, अम्बरीष जी तथा व्यथित जी आपकी रचनाओं से नव वर्ष का सिन्दर आगाज़ हुआ है। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंHappy New Year.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
यह वर्ष नया दृढ़ संकल्पों का हो,
जवाब देंहटाएंनव निष्ठा का संबल रहे संग संग
मन मंदिर में स्नेह की ज्योति जले
हो सुबह की किरणों में नूतन उमंग
प्रभावी रचना है शशि जी।
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शुभ 'सत-चित-आनंद' है, शुभ नाद लय स्वर छंद है.
शुभ साम-ऋग-यजु-अथर्वद, वैराग-राग अमंद है.
शुभ करें अंकित काल के इस पृष्ट पर, मिलकर सभी.
शुभ रहे वन्दित कल न कल, पर आज इस पल औ' अभी..
आभार सलिल जी।
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सुरभित होवें जन सभी, अपनी ये आवाज़ |
स्वागत है नव वर्ष का, नित नव होवें काज ||
शुभकामनायें अम्बरीष जी
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नव वर्ष सुहाना हो
सब खुशियाँ खूब मिलें
खुशियों का खजाना हो
आभार व्यथित जी
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आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।
सुन्दर रचनाएँ |
जवाब देंहटाएंसभी को नव वर्ष की मंगल कामना |
अवनीश तिवारी
बहुत सुन्दर रचनायें। सभी को नव वर्ष की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंनये साल की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंsahitya srjan ke liye krtvya nishth sahitya shilpi ke sanchlk mere priy rajeev rnjan aap ka aabhar shbdon men nhi hirdy se hai nv me shbhi pathkon ka sadhuvad hai jo nirntr protsahit krte hain sbhi ka shubh ho
जवाब देंहटाएंdr.vedvyathit@gmail.com
सुन्दर प्रस्तुति..!!
जवाब देंहटाएंआचार्य संजीव वर्मा "सलिल" जी, अम्बरीष श्रीवास्तव जी, और डॉ. वेद व्यथित जी नव वर्ष की बधाई और शुभकामनाएं !!
आप सभी आदरणीय महानुभावों को प्रतिक्रियाओं केतु धन्यवाद एवं नव वर्ष की शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंअपने इस नववर्ष में, हम सब आयें संग |
बैर द्वेष दुर्भाव से, मिलकर छेड़ें जंग || 12
सादर , अम्बरीष श्रीवास्तव
प्रतिक्रियाओं हेतु धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसादर , अम्बरीष श्रीवास्तव
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.