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साल नया है [ग़ज़ल] - प्राण शर्मा


रचनाकार परिचय:-

प्राण शर्मा वरिष्ठ लेखक और प्रसिद्ध शायर हैं और इन दिनों ब्रिटेन में अवस्थित हैं।
आप ग़ज़ल के जाने मानें उस्तादों में गिने जाते हैं। आप के "गज़ल कहता हूँ' और 'सुराही' - दो काव्य संग्रह प्रकाशित हैं, साथ ही साथ अंतर्जाल पर भी आप सक्रिय हैं।
ढोल बजाओ,धूम मचाओ, साल नया है
क्यों ना ऐसा रंग जमाओ, साल नया है

खुल कर यारो हंसो-हंसाओ, साल नया है
चिंताओं से छुट्टी पाओ, साल नया है

इससे अब क्या लेना-देना मेरे यारो
यानी नफ़रत दूर भगाओ, साल नया है

मुँह लटकाए क्या बेठे हो मेरे यारो
झूमो, नाचो और लहराओ, साल नया है

आँखें क्या,मन को भी ये सब बेहद भाये
यूँ अपना घर- बार सजाओ,साल नया है

अपने को ही महकाया तो क्या महकाया
औरों को भी तुम महकाओ, साल नया है

अपना हो या हो बेगाना, याद करेगा
मुँह मीठा ए "प्राण" कराओ, साल नया है

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10 टिप्पणियाँ

  1. नये साल की उमंग से भरी ग़ज़ल। आपको भी नव वर्ष की शुभकामनायें।

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  2. बहुत कुछ करने को प्रेरित करती यह रचना उत्‍साहवर्धन का माहौल बना रही है, आपको भी नववर्ष की शुभकामनायें

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  3. अपने को ही महकाया तो क्या महकाया
    औरों को भी तुम महकाओ, साल नया है

    नये साल की बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीय प्राण जी आपको व आपके समस्त परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।

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  5. बहुत उम्दा!!

    आप एवं आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ.

    जवाब देंहटाएं
  6. बढ़िया ग़ज़ल..नववर्ष की हार्दिक बधाई..

    जवाब देंहटाएं
  7. सुन्दर ग़ज़ल! नववर्ष की बधाई एवं शुभकामनायें !!

    जवाब देंहटाएं
  8. Pran ji
    Naye saal ke liye yeh zaika ban rahe isi shubhkamna ke saath

    Devi Nangrani

    जवाब देंहटाएं
  9. माँ खुद भी रो पड़ी थी मुझे पीटने के...vaah kya sundar panktyiyan hai...badhaai praan ji!

    जवाब देंहटाएं

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