
सठिया गया है देश चलो जश्न मनायें।।
हमने भी गिरेबाँ के बटन खोल दिये हैं
थी शर्म, कबाड़ी ने रद्दी में खरीदी है
बीड़ी जला रहे हैं अपने जिगर से यारों
ये पूँछ खुदा ने जो सीधी ही नहीं दी है
हम अपनी जवानी में वो आग लगाते हैं
कुत्तों को, सियारों को जो राह दिखाते हैं
मौसम है उत्सव का, लेकर मशाल आओ
हम पर जो उठ रहे हैं, वो प्रश्न जलायें।
सठिया गया है देश, चलो जश्न मनायें।।
आज़ाद का मतलब, सड़कों पे पिघल जाओ
आज़ाद का मतलब है, बस - रेल जलाओ
आज़ाद का मतलब है, एक चक्रवात हो लो
आज़ाद का मतलब है पश्चिम की बात बोलो
सब रॉक-रोल हो कर चरसो-अफीम में गुम
हो कर कलर आये, फिर से सलीम में गुम
आज़ाद ख्याली हैं, दिल फेंक मवाली हैं
सपने न हमसे देखो, उम्मीद भाड़ जाये।
सठिया गया है देश, चलो जश्न मनायें।।
पूछा था जवानी ने, हमसे सवाल क्यों है
बुड्ढे जो तख्तो-ताज पे उनको तो घेरिये
बच्चे कल की आशा, उनकी बदलो भाषा
"मुट्ठी में क्या है पूछें", सर हाँथ फेरिये
टैटू भी गुदाना है, बालों को रंगाना है
कानों में नयी बाली, हम नहीं हैं खाली
मत बजाओ थाली, बच्चों बजाओ ताली
सुननी नहीं हो गाली तो राय न लायें।
सठिया गया है देश, चलो जश्न मनायें॥
ले कर कलम खड़ा था, मैं भूमि में गड़ा था
हँसने लगा वो पागल, जो पास ही खड़ा था
बोला कि अपने घर को, घर का चराग फूँके
वो आईने के अक्स पर, हर शख्स आज थूके
भटके हुए जहाज को आजाद नहीं कहते
लश्कर के ठिकानों को आबाद नहीं कहते
तुम अपनी कलम घिस्सो, दीपक ही जलाओ
वो गीत लिखो जिसको, बहरों को सुनायें
सठिया गया है देश चलो, जश्न मनायें॥
राजीव रंजन प्रसाद का जन्म बिहार के सुल्तानगंज में २७.०५.१९७२ में हुआ, किन्तु उनका बचपन व उनकी प्रारंभिक शिक्षा छत्तिसगढ राज्य के जिला बस्तर (बचेली-दंतेवाडा) में हुई। आप सूदूर संवेदन तकनीक में बरकतुल्ला विश्वविद्यालय भोपाल से एम. टेक हैं। विद्यालय के दिनों में ही आपनें एक पत्रिका "प्रतिध्वनि" का संपादन भी किया। ईप्टा से जुड कर उनकी नाटक के क्षेत्र में रुचि बढी और नाटक लेखन व निर्देशन उनके स्नातक काल से ही अभिरुचि व जीवन का हिस्सा बने। आकाशवाणी जगदलपुर से नियमित उनकी कवितायें प्रसारित होती रही थी तथा वे समय-समय पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित भी हुईं। वर्तमान में आप सरकारी उपक्रम "राष्ट्रीय जलविद्युत निगम" में सहायक प्रबंधक (पर्यावरण) के पद पर कार्यरत हैं। आप "साहित्य शिल्पी" के संचालक सदस्यों में हैं।
आपकी पुस्तक "टुकडे अस्तित्व के" प्रकाशनाधीन है।
16 टिप्पणियाँ
बहुत सटीक और खरी बात, राजीव!! बेहतरीन, बधाई.
जवाब देंहटाएंविचारोत्तेजक
जवाब देंहटाएंसठियाने का तर्क सार्थक है।
जवाब देंहटाएंले कर कलम खड़ा था, मैं भूमि में गड़ा था
जवाब देंहटाएंहँसने लगा वो पागल, जो पास ही खड़ा था
बोला कि अपने घर को, घर का चराग फूँके
वो आईने के अक्स पर, हर शख्स आज थूके
भटके हुए जहाज को आजाद नहीं कहते
लश्कर के ठिकानों को आबाद नहीं कहते
तुम अपनी कलम घिस्सो, दीपक ही जलाओ
वो गीत लिखो जिसको, बहरों को सुनायें
सठिया गया है देश चलो, जश्न मनायें॥
बहुत अच्छी कविता है राजीव जी, बधाई।
Nice Poem. Thanks.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
Ek naya tewar pada aur mehsos mehsoos kiya is rachna mein. barson ho gaye aazadi ko par phir bhi bedian vahin ki vahin hai.
जवाब देंहटाएंवो गीत लिखो जिसको, बहरों को सुनायें
सठिया गया है देश चलो, जश्न मनायें॥
bahut khoob.
shayad aawaz ko ooncha karna hai
विचारोत्तेजक कविता जिसकी एक एक पंक्ति सार्थक है।
जवाब देंहटाएंकविता के माध्यम से सटीक विवेचना की है आपने. दुःख है त्रासदी है. यह गणतंत्र नहीं है स्वतंत्र.
जवाब देंहटाएंsnvidhan lagoo hone kee vrsh ganth hm mna rhe
जवाब देंहटाएंkhne ko apna shasn hai aisi khushiyan mna rhe
pr mugalge men jeene kee pdi hmari aadt hai
mnhgai kee mar jhelte fir bhi khushiyan mna rhe
sanvidhan ko lagoo kr ke jnta kaise sukhi hui
khane ke bhi pd gye lale kitna jyada dukhi hui
dal nhi hai n hi sbji roti pani sb km hai
aajadi hai kaisi kaisa shasn jnta dukhi hui
bhi rajeev ki klm hmesha yesa hi likhti rhe
bdhai
dr.vedvyathit@gmail.com
सटीक , सार्थक कविता की बधाई..
जवाब देंहटाएंवो गीत लिखो जिसको, बहरों को सुनायें
सठिया गया है देश चलो, जश्न मनायें॥
बहुत खूब ..
तुम अपनी कलम घिस्सो, दीपक ही जलाओ
जवाब देंहटाएंवो गीत लिखो जिसको, बहरों को सुनायें
सठिया गया है देश चलो, जश्न मनायें॥
बहुत अच्छी,
बहुत सार्थक....
राजीव जी !
बधाई।
kitna sahi likha hai tikha sa khara khara sa .
जवाब देंहटाएंbadhai
rachana
मन को छूती काव्य पंक्तियाँ...बधाई.
जवाब देंहटाएंkavita achhi lagi
जवाब देंहटाएंbadhayee sweekar karen
वो गीत लिखो जिसको, बहरों को सुनायें
जवाब देंहटाएंसठिया गया है देश चलो, जश्न मनायें॥
बहुत खूब! सच में सठिया गया है देश..अच्छी अभिव्यक्ति के लिए राजीव जी बधाई! और साहित्य शिल्पी के नये कलेवर में पुन: प्रसारण के लिए बधाई!
Rajiv Ji,
जवाब देंहटाएंCongratulations for saying the painful Truth so nicely!
It needs courage to say it and if it awakens Hindus/Bhartwasis, it is worth it.
HK Bhargava
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.