
अनुवाद चाहे मानव द्वारा किया जाए या फिर मशीन द्वारा दोनों का अंतिम लक्ष्य एक ही होता है- स्रोत भाषा के कथ्य को लक्ष्य भाषा में बदलना। कम्प्यूटर साफ्टवेयर की सहायता से एक प्राकृतिक भाषा के टेक्स्ट या कही गयी बात (स्पीच) को दूसरी प्राकृतिक भाषा के टेक्स्ट या वाक् में अनुवाद करने को मशीनी अनुवाद या यांत्रिक अनुवाद कहते हैं। अनुवाद एक बौद्धिक प्रक्रिया का परिणाम है। कंप्यूटर द्वारा भाषा और शब्द-संसाधन के क्षेत्र में अनुवाद कार्य बौद्धिक स्तर की एक आवश्यकता के रूप में सामने आया है। कृत्रिम बुद्धि मनुष्य के कार्य का बौद्धिक अनुकरण करती है और पूर्व संचित नियमों से परिवर्तित होती है। मस्तिष्क में सूक्ष्म और अव्यक्त रुप में विद्यमान इन नियमों और प्रतिबंधों को एल्गोरिदम या सूत्रों के माध्यम से कम्प्यूटर द्वारा परिचालित करवाना ही कृत्रिम बुध्दि कहलाती है।
कंप्यूटर मानव-मस्तिष्क को पूर्ण रूप से प्रतिस्थापित नहीं कर सकता है, इसलिए मानव ने जब कंप्यूटर से अनुवाद कार्य कराने का प्रयास किया तो उसने उसका प्रारंभ एक शुध्द यांत्रिक कार्य के रूप में किया। मशीन के प्रयोगकर्ताओं को यह बात स्पष्ट होने लगी कि कंप्यूटर से अनुवाद कराते समय यह कार्य कंप्यूटर विज्ञान, भाषा विज्ञान और मानव बुद्धि तीनों क्षेत्रों का है।
भारत की अधिकांश आबादी बहुभाषी है या होती जा रही है। इसे आप फिल्मों की या टी.वी. की मेहरबानी कह सकते हैं। अनुवाद को समझने की प्राथमिक आवश्यकता प्रायः कार्यालयों के संदर्भ में आती है। ऐसा नहीं है कि साहित्य, विज्ञान आदि के क्षेत्र में इसकी आवश्यकता नहीं होती। भारत में अनेक राष्ट्र भाषाएँ होने के कारण तथा विभिन्न राज्यों में विभिन्न राजभाषाएं होने के कारण तथा विभिन्न राज्यों में विभिन्न राजभाषाएँ होने के कारण कार्योलयों में हिंदी से भारतीय भाषाओं में तथा भारतीय भाषाओं से हिंदी में तथा अंग्रेजी से भारतीय भाषाओं में तथा भारतीय भाषाओं से अंग्रेजी में अनुवाद कार्य संपन्न करवाने की जितनी आवश्यकता कार्यालयों के संदर्भ में है शायद और कहीं नहीं ।
अन्तराष्ट्रीय दृष्टि से यह सर्व स्वीकार्य तथ्य है कि सामान्य उद्देश्य के मशीनी अनुवाद प्रणाली की सहायता से अनुवादकों को अपना कार्य अधिक तेजी से करने में सहायता मिली है । भारत में विभिन्न संस्थानों/संगठनों के द्वारा विकसित प्रचलित अंग्रेजी हिन्दी मशीन अनुवाद प्रणालियाँ हैं:
1. मंत्र:- सी.डैक पुणे के एप्लाइड ए. आई. ग्रुप ने 'मंत्र' नामक मशीनी अनुवाद प्रणाली विकसित की है। यह प्रशासनिक, वित्तीय एवं कृषि क्षेत्र के अंग्रेजी पत्रों का हिन्दी अनुवाद करती है। इस प्रणाली में मुख्यत: टैग फॉर्मेलिज्म का उपयोग किया गया है। यह प्रणाली पूर्व संपादन एवं उत्तर संपादन सुविधा से युक्त हैं, इससे प्रयोक्ता को कम प्रयास में अच्छा परिणाम मिलता है।
2. अनुसारक: - भारतीय भाषाओं के मध्य तथा अंग्रेजी से भारतीय भाषा में अनुवाद कार्य कराने के लिए यह प्रणाली प्रारंभ में आई. आई. टी. कानपुर द्वारा विकसित की गयी थी। वर्तमान में आई.आई.आई. टी हैदराबाद, हैदराबाद विश्वविद्यालय एवं चिन्मय फाउंडेशन की मदद से यह काम चल रहा है। यह प्रणाली पाणिनी व्याकरण पर आधारित है।
3. शक्ति:- यह प्रणाली आई.आई.आई टी. हैदराबाद द्वारा अंग्रेजी से भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने के लिए विकसित की गयी है। इस प्रणाली में भाषावैज्ञानिक विश्लेषण के साथ-साथ सांख्यिकी पद्धति और उदाहरण आधारित पद्धति का प्रयोग किया गया है।
4. गूगल:- यह प्रणाली गूगल डॉट कॉम द्वारा विकसित की गयी है। गूगल ने अब तक इक्कीस भाषा युग्मों के लिए यह सेवा आरंभ की है। इस प्रणाली में सांख्यिकीय पद्धति का उपयोग किया गया है ।
5. आंग्लभारती मशीन अनुवाद तंत्र (अंग्रेजी-हिन्दी) ई.आर.एण्ड डी.सी.आई. नोएडा - 'सन' वर्कस्टेशन पर आई.आईर्.टी.कानपुर में विकसित आंग्लभारती पद्धति पैटर्न आधारित संदर्भ मुक्त व्याकरण जैसी संरचना के नियम आधारित तंत्र पर आधारित है जो भारतीय भाषाओं के वर्ग में 'छद्म लक्ष्य' को जेनेरेट करइंटर लिंग्वा' पद्धति की तरह संरचना समानता का लाभ उठा सकती है । यह तंत्र उदाहरण आधारित पद्धति तथा नियम आधारित मानव पश्च संपादन दोनों पद्धतियों के संयोजन का प्रयास करता है । इसमें आधुनिक यांत्रिक बुद्धिमत्ता की तकनीक को संस्कृत व्याकरण पर आधारित शास्त्रीय पाणिनीय सिद्धांत के साथ मिलाकर कार्य किया गया है । कार्पस विश्लेषण के आधार पर प्राप्त नियमों के समुच्चय का प्रयोग संभाव्य घटकों की पहचान के लिए किया गया है जिसके आधार पर 'छद्म-लक्ष्य' के मूवमेंट नियमों का निर्माण किया जा सकता है । स्त्रोत भाषा में द्वि-अर्थता की समस्या के समाधान के लिए कई आर्थी 'टैग' प्रयोग किए गए हैं ।जहाँ द्वि-अर्थता का समाधान नहीं हो पाता उसके संबंध में विकल्पी अर्थों को छद्म-लक्ष्य भाषा में रखा जाता है ।प्रत्येक लक्ष्य भाषा का 'टैक्स्ट जेनेरेटर मोड्यूल' 'छद्म-लक्ष्य' भाषा को लक्ष्य भाषा में परिवर्तित करता है । इन रूपांतरणों से दोषपूर्ण वाक्य प्राप्त होते हैं ।इनको ठीक करने के लिए 'संशोधक' का प्रयोग किया जाता है तथा मानव पश्च संपादन के द्वारा अंतिम सुधार किया जाता है ।
6. अंग्रेजी समाचार कथाओं का हिन्दी में वैब आधारित अनुवाद सेवा : एन.सी.एस.टी., मुंबई - समाचार कथाओं का प्रयोग क्षेत्र अत्यन्त संदर्भ संवेदी होता है अतः प्रत्यक्ष अनुवाद, अंतरण पद्धतिइंटरलिंग्वा आदि मानक अनुवाद पद्धतियाँ पर्याप्त नहीं हैं । अतः 'वाक्य' नामक एक संकर पद्धति का विकास एन.सी.एस.टी., मुंबई द्वारा किया गया है । पूर्व-प्रोसेसर के प्रयोग से निर्देशित पाठ को सरल बनाया जाता है । संसाधित पाठ का विश्लेषण किया जाता है तथा शब्द भेदों की टैगिंग की जाती है । सरलीकरण नियमों के आधार पर लंबे वाक्यों को सरल किया जाता है । इसके बाद पाठ कोइनफा 'टाइजेशन' नियमों के आधार पर कारक फ्रेम जैसी संरचना में परिवर्तित किया जाता है । कारक फ्रेम संरचनाओं तथा द्विभाषी कोश्ा की सहायता से 'पैरामीटराइज्ड टैम्पलेट' के द्वारा लक्ष्य भाषा का जेनेरेशन किया जाता है ।
मशीनी अनुवाद के लिए विश्व के कई देशों और संस्थानों, विश्वविद्यालयों में कार्य चल रहे हैं। आज मानव मशीनी अनुवाद पर ही कार्य कर रहा है। मशीनी अनुवाद ऐसा होना चाहिए जिससे सभी भाषाओं का अनुवाद सभी भाषाओं में होना चाहिए तभी अनुवाद का उद्देश्य सफल होगा।
5 टिप्पणियाँ
आपने उपसंहार सही लिखा है - मशीनी अनुवाद के लिए विश्व के कई देशों और संस्थानों, विश्वविद्यालयों में कार्य चल रहे हैं। आज मानव मशीनी अनुवाद पर ही कार्य कर रहा है। मशीनी अनुवाद ऐसा होना चाहिए जिससे सभी भाषाओं का अनुवाद सभी भाषाओं में होना चाहिए तभी अनुवाद का उद्देश्य सफल होगा।
जवाब देंहटाएंजानकारीपूर्ण आलेख, बधाई।
जवाब देंहटाएंमैंने भी अनुवाद के लिए सॉफ्टवेर बनाने के काम में नीव रखनी शुरू की थी |
जवाब देंहटाएंकुछ दूर तक कोम्पिलेर (compiler) संरचना तक पंहुंच रूक गया | काम अधूरा सा है |
आपके लेख से जानकारी बढ़ी |
धन्यवाद |
अवनीश तिवारी
Waah kajal ji kya likha aapne machine translation .Mai bhi translation system mai kaam karta hu.Apka ye artical mere liye bahut use ful hai.
जवाब देंहटाएंThanks for uploading this.
That's what i call a good artical
PAVAN KURARIYA
जानकारी बढ़ाने वाला लेख । प्रशंसनीय । शुक्रिया ।
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.