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सरस्वती वंदना [कविता] - अवनीश तिवारी

तू स्वर रागिनी,
तू हँस वाहिनी,

तू शांत-सहज-सरल,
तू सुंदर-विनम्र-निर्मल,

तू विचारणीय,
तू स्मरणीय,

तू पूजनीय,
तू वंदनीय,

तू करती पवित्रता से श्रृंगार,
तू शोभे पहन श्वेत परिधान,

तू द्वेष मुक्त,
तू क्लेश मुक्त,

तू कला युक्त,
तू ज्ञान युक्त,

तू करे तम सँहार,
तू ही लक्ष्य,
तू जीवन-सार,

तू हमें सर्वदा भायें,
तू वर दे, तुझे पायें।

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6 टिप्पणियाँ

  1. तू हमें सर्वदा भायें,
    तू वर दे, तुझे पायें।
    बसंत पंचमी के शुभ दिन पर माँ सरस्वती और सुन्दर कविता को नमन.

    जवाब देंहटाएं
  2. Naman mata veenapani ko aur aapko bhi is sundar prarthna ke liye ..
    Mata sadaa aappar apni kripadrishti banaye rakhen...........

    जवाब देंहटाएं
  3. माँ शारदा की वंदना बहुत ही भाव पूर्ण है, बधाई.
    - विजय

    जवाब देंहटाएं

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