
जिसे रोपा था बूढी अम्मा ने
सींचा था अपने श्रम से, स्वेद से
पाला था बेटे की भांति
रचना सागर का जन्म 25 दिसम्बर 1982 को बिहार के छ्परा नामक छोटे से कस्बे के एक छोटे से व्यवसायिक परिवार मे हुआ। इनकी शिक्षा-दीक्षा भी वहीं हुई। आरंभ से ही इन्हे साहित्य मे रूचि थी। आप अंतर्जाल पर विशेष रूप से बाल साहित्य सृजन में सक्रिय हैं।
आज जब विशाल वृक्ष बना था
तो काट दिया अम्मा के अपने बेटे नें
मानो, एक भाई ने दुसरे भाई को काट दिया..
आज उस वृक्ष को कटते देखा मैंने
जिसे रोपा था बूढी अम्मा ने
वह वृक्ष उदास तो था
किंतु उसकी आँखों मे आँसू न थे
वो आज के मानव की कहानी कह रहे थे
उसे अफसोस नहीं कट जाने का/मिट जाने का
कि यही तो आज की दुनियाँ है हाँ
यहाँ माँ के दुध का कर्ज अदा नही होता
धरती माँ का हक़ अदा नही होता
जहाँ संग खेलते भाई-बहनों का संग नही होता
वहाँ एक अदना वृक्ष की क्या बिसात?
जाता हुआ वृक्ष धरती में बिबाईया बो गया
दरारे अपनी लिपि में
दे रही थी चेतावनी मानवता को
अभी समय है संभल जाओ..
14 टिप्पणियाँ
Sundar rachna..badhai.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सामयिक रचना है।बधाई।
जवाब देंहटाएंpryavrn ke hit men achchhi rchna hai aur prishrm kro
जवाब देंहटाएंbdhai
dr.vedvyathit@gmail.com
pryavrn ke hit men achchhi rchna hai aur prishrm kro
जवाब देंहटाएंbdhai
dr.vedvyathit@gmail.com
अभी भी समय है,
जवाब देंहटाएंसंभल जाओ!
फूल देखो,
फल खाओ,
टहनियाँ तोड़ो,
पर काटो मत,
अपने मीत उस को,
जो जीता है हमेशा -
तुम्हें देने लिए!
ओंठों पर मधु-मुस्कान खिलाती शुभकामनाएँ!
नए वर्ष की नई सुबह में, महके हृदय तुम्हारा!
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ", FONT लिखने के 24 ढंग!
संपादक : "सरस पायस"
रचना के भाव अच्छे हैं | लेकिन और पद्यात्मक होता तो और सुन्दर होती कविता |
जवाब देंहटाएंबधाई |
अवनीश तिवारी
जहाँ संग खेलते भाई-बहनों का संग नही होता
जवाब देंहटाएंवहाँ एक अदना वृक्ष की क्या बिसात?
-शानदार
और अंत में उम्दा संदेश.
सार्थक अभिव्यक्ति!!
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंवृक्षों से लगाव न केवल हमारी आवश्यकता है बल्कि हमारी संस्कृति का अंग भी है| परंतु आधुनिकता की इस अंधी होड़ में वृक्ष हमसे कहीं दूर होते जा रहे हैं| और वृक्ष ही क्या हमारे पारिवारिक संबंध भी इसका अपवाद नहीं रह पाये हैं|
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति!
पर्यावरण पर एक सार्थक संदेश देती सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसार्थक सुन्दर अभिव्यक्ति -सन्देश देती रचना.
जवाब देंहटाएंsunder rachana ..bahut-bahut badhai rachanaji
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता....बधाई
जवाब देंहटाएंPrkrti ke atha saagr me dub kr rachi gyi rachna ji ko badhai
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.