हिन्दी साहित्य में एक युग-पुरुष बन चुके नीरज जी का आज जन्मदिन है। इसी शुभ अवसर पर साहित्य शिल्पी की नई साइट की विधिवत शुरुआत की जा रही है। इस मौके पर हमारे साथी देवेश वशिष्ठ ने नीरज जी से दूरभाष पर बातचीत की। इस दौरान साहित्य शिल्पी को आशीर्वाद स्वरूप उन्होंने कहा:
मस्तक पर आकाश उठाए, धरती बाँधे पाँव से
तुम निकलो जिस गाँव से, सूरज निकले उस गाँव से
4 टिप्पणियाँ
शतायु हो यह साहित्य का शलाका पुरुष और आपको भी आभार इस आयोजन पर
जवाब देंहटाएंसाहित्यशिल्पी की इस नये रूप के लिए हार्दिक बधाई..और एक महान कवि के आशीर्वाद को लेकर आज के दिन इसकी शुरुआत करना भी एक सुंदर भाव का संकेतक है..राजीव जी हिन्दी के इस विकास यात्रा के लिए सारे भारतवासी को आप पर गर्व है...बधाई हो..
जवाब देंहटाएंराजीव जी एवं साहित्यशिल्पी के सभी सहयोगी गणजनों को सभी हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ!!
साहित्य शिल्पी को नए संस्करण के लिए बधाई |
जवाब देंहटाएंनीरजी को नमन | उनका आशीर्वाद हमें मिलाता रहे , ऐसी मंगल कामना |
अवनीश तिवारी
Mahakavi MNeraj ji ke sanvaad goshti se roushan rahein ho rahi hai. Sahitya shilpi ke manch aur sur staff ko is safak aur sarthak sanyojan ke liye badhayi
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.