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वसंत तो आया है पर [कविता] – लावण्या शाह

hindi kavita UDAAN by Lavanya Shahरचनाकार परिचय:-
लावण्या शाह सुप्रसिद्ध कवि स्व० श्री नरेन्द्र शर्मा जी की सुपुत्री हैं और वर्तमान में अमेरिका में रह कर अपने पिता से प्राप्त काव्य-परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं।
समाजशा्स्त्र और मनोविज्ञान में बी.ए.(आनर्स) की उपाधि प्राप्त लावण्या जी प्रसिद्ध पौराणिक धारावाहिक "महाभारत" के लिये कुछ दोहे भी लिख चुकी हैं। इनकी कुछ रचनायें और स्व० नरेन्द्र शर्मा और स्वर-साम्राज्ञी लता मंगेसकर से जुड़े संस्मरण रेडियो से भी प्रसारित हो चुके हैं।
इनकी एक पुस्तक "फिर गा उठा प्रवासी" प्रकाशित हो चुकी है जो इन्होंने अपने पिता जी की प्रसिद्ध कृति "प्रवासी के गीत" को श्रद्धांजलि देते हुये लिखी है।
कल सुबह सुबह, अमुवा के पेड पर,
एक कोयल - फुसफुसाई !
हमने कहा, " अरे ! यह क्या ?
आपकी सुरीली तान कहाँ गई ? "
तब लँबी साँस लेकर वह बोली,
" पर्यावरण का प्रदूषण देखो -
मेरी आवाज़ बैठ गई है ! !! "
सच है, सारा आकाश धुँआ धुँआ,
मिल से उठता काला बादल,
सडकोँ पर अनवरत यातायात,
वसँत तो आया है पर .....
कौन सुनना चाहता है, कूक ?

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8 टिप्पणियाँ

  1. बेचारी कोयल, बेचारी अमराई!
    सुन्दर कविता है.
    घुघूती बासूती

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  2. संदेश जनक कविता इस बसंत में........अच्छा प्रयास ।

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  3. बढिया संदेश देती रचना है।सुन्दर रचना है।

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  4. pryavrn to kha gya hai koyal kook
    pr hridy me ab kahan uthati hai vh hook
    uthati hai vh hook nhi mn mor srikha nache
    kyon ki mhgai me krne pdte faake
    isiliye ab koyl voyl kahan suhati
    jnta to ab bhav poochh kr hee rh jati
    dr.vedvyathit@gmail.com

    जवाब देंहटाएं
  5. LAVANYA JEE KAVITA KEE BHAVABHIVYAKTI SUNDAR
    AUR SAHAJ HAI.BADHAAEE.

    जवाब देंहटाएं
  6. कितने सुंदर भाव पर्यावरण की बिगड़ा हुआ स्वरूप पक्षियाँ बयाँ कर रहे है और इंसान आँखे मूँदे बैठा है..सुंदर कविता....बधाई

    जवाब देंहटाएं
  7. सुन्दर अभिव्यक्ति...अच्छी रचना के लिये बधाई!

    जवाब देंहटाएं

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