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एक किस्सागो से मुलाकात [संस्मरण] - रूपसिंह चंदेल

Roop Singh Chandel

संस्मरणों की इस श्रृंखला में मैंने कुछ बड़े साहित्यकारों पर लिखा है और उन लोगों पर भी जिनका साहित्य से दूर का भी रिश्ता नहीं था। जिन साहित्यकारों पर लिखा उन्होंने किसी किसी रूप में मुझे प्रभावित किया और दूसरे लोगों की मेरे जीवन में कुछ स्मरणीय भूमिका रही। सभी पर लिखने के अपने कारण रहे लेकिन मुख्य कारण उन पर लिखकर उन सबकी स्मृतियों को जीने का सुख प्राप्त करना रहा। मैं आज जो हूं उसके निर्माण में जिन लोगों की सकारात्मक भूमिका रही उन्हें याद करना उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के अतिरिक्त कुछ नहीं है। उनमें से एक नाम डॉ0 शिवतोष दास का है।

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