हिन्दी साहित्य के इतिहास की प्रथम अवस्था को विभिन्न विद्वानों ने अलग-अलग नाम दिये हैं। जार्ज ग्रियर्सन इसे चारणकाल कहते हैं तो मिश्रबंधु प्रारम्भिक काल; आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने इसे वीरगाथाकाल कहा तो आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने आदिकाल; राहुल सांकृत्यायन ने सिद्ध-सामंतकाल माना तो डा० रामकुमार वर्मा ने इसे दो भागों संधिकाल और चारणकाल में विभाजित कर दिया। यहाँ यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि हिन्दी साहित्य के प्रथम लेखक माने जाने वाले जार्ज ग्रियर्सन, मिश्रबंधुओं, राहुल सांकृत्यायन, डा० रामकुमार वर्मा आदि जहाँ हिन्दी साहित्य का आरंभ सातवीं-आठवीं शताब्दी से मानकर इसमें परवर्ती अपभ्रंश (अथवा अवहट्ठ) की रचनाओं को भी शामिल कर लेते हैं वहीं आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी आदि विद्वान हिन्दी साहित्य का आरंभ १००० ई० के आसपास से मानते हैं। अब अधिकांश आधुनिक विद्वान आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा प्रदत्त नाम आदिकाल और उनके काल-विभाजन को ही सर्वाधिक उपयुक्त मानने लगे हैं।
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