
घना फैला कोहरा
कज़रारी सी रातभीगे हुए बादल लेकर
फिर आई है ‘बरसात’
अनछुई सी कली है मह्की
बारिश की बूंद उसपे है चहकी
भंवरा है करता उसपे गुंजन
ये जहाँ जैसे बन गया है मधुवन
रस की फुहार से तृप्त हुआ मन
उमंग से जैसे भर गया हो जीवन’बरसात’ है ये इस कदर सुहानी
जिंदगी जिससे हो गई है रूमानी!!
7 टिप्पणियाँ
ब्लागजगत पर आपका स्वागत है ।
जवाब देंहटाएंकिसी भी तरह की तकनीकिक जानकारी के लिये अंतरजाल ब्लाग के स्वामी अंकुर जी,
हिन्दी टेक ब्लाग के मालिक नवीन जी और ई गुरू राजीव जी से संपर्क करें ।
ब्लाग जगत पर संस्कृत की कक्ष्या चल रही है ।
आप भी सादर आमंत्रित हैं,
http://sanskrit-jeevan.blogspot.com/ पर आकर हमारा मार्गदर्शन करें व अपने
सुझाव दें, और अगर हमारा प्रयास पसंद आये तो हमारे फालोअर बनकर संस्कृत के
प्रसार में अपना योगदान दें ।
यदि आप संस्कृत में लिख सकते हैं तो आपको इस ब्लाग पर लेखन के लिये आमन्त्रित किया जा रहा है ।
हमें ईमेल से संपर्क करें pandey.aaanand@gmail.com पर अपना नाम व पूरा परिचय)
धन्यवाद
Sunder kavita aur sunder blog ka hardik swagat hai.
जवाब देंहटाएंdr.bhoopendra
सुन्दर प्रस्तुति धन्यवाद्|
जवाब देंहटाएंसाहित्य शिल्पी का ब्लॉग जगत में हार्दिक स्वागत है !
जवाब देंहटाएंमुझे आश्चर्य है कि ब्लॉगजगत से जुड़ने से पहले से मैं साहित्यशिल्पी को पढ़ता आया हूं । मेरे स्वयं के ब्लॉग पर तो आपका लोगो भी लगाया हुआ है ।
बहुत बहुत शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
सुंदर ब्लॉग, सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
जवाब देंहटाएंकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
हार्दिक स्वागत है ब्लागजगत पर
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.