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अपील - साहित्य शिल्पी को आपका प्रोत्साहन चाहिये।

प्रिय मित्रों,

न चाहते हुए भी कुछ अपरिहार्य घटनायें हो जाती है। जब हमने ब्ळोग से साहित्य शिल्पी को बेबसाईट में ले गये थे तब यह सोचा था कि हिदी को एसी वेबसाईट देगें जिसे एक श्रेष्ठ ई-पत्रिका होने का गौरव हासिल हो। हमे यह गर्व है कि हम अपने उद्देश्य में सफल हुए। कुछ धन की कमी (यह सभी हिन्दी वेबसाईटों की सामान्य समस्या है) कुछ हमारे वेब डेवलपर के द्वारा गुमराह किये जाने के बाद हम तकनीकी रूप से एसी दुविधा में पड गये जिसमें से एक विकल्प इस साईट को बंद कर देना भी था। किंतु साहित्य शिल्पी साथ पिछले दो वर्षों का अनथक परिश्रम लगा हुआ है। पिछले एक सप्ताह से प्रकाशन रुका हुआ है और हमें अनेकों पत्र-फोन व टिप्पणियाँ प्राप्त हुई हैं कि हम वेबसाईट को पुन: आरंभ करें।

मित्रों आपका सहयोग चाहिये। हम कुछ समय के लिये पुन: ब्ळॉग बेस पर लौट रहे हैं। केवल थोडा परिवर्तन है।

www.sahityashilpi.com ही अब हमारा पता होगा

www.sahityashilpi.in को कुछ समय के पश्चात हम डॉट कॉम पर ही रिडाईरेक्ट कर देंगे।


आपसे हमें हौसला मिलेगा तो हम व्यवधान से बाहर निकल कर पुन: पूरी उर्जा से जुट जायेंगे। साहित्यशिल्पी हमारी नहीं आपकी ही पत्रिका है और रहेगी।

सहयोगाकांक्षी -

साहित्य शिल्पी के लिये राजीव रंजन प्रसाद

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3 टिप्पणियाँ

  1. साहित्य शिल्पी ब्लॉग बेस पर रहे या फिर डाट.कॉम पर... हम हमेशा से इसके साथ थे और रहेंगे ...

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  2. हमलोग हमेशा आपके साथ है .. शुभकामनाएं !!

    जवाब देंहटाएं
  3. साहित्य शिल्पी की नव यात्रा के लिये शुभकामना:

    नव सज्जा में शिल्पी का है नव अभिनन्दन.
    लगन-प्रयासों को अर्पित है अक्षत-चन्दन..

    बाधाओं का क्या है?, आना है आयेंगीं.
    संकल्पों के पर्वत से डर झुक जायेंगी..

    जन-मन-रंजन, सत्साहित्य सृजन है मंजिल.
    भंवरों से क्या डर?, जज्बा अपना है हासिल..

    पता लापता हो तो भी लेंगे तलाश हम.
    जूझेंगे पर होंगे ना किन्चित हताश हम..

    पग चूमेगी मंजिल, झंडा फहराएंगे.
    'सलिल' हिंद-हिन्दी की जय-जय मिल गायेंगे..

    ******************

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