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साहित्य शिल्पी पर बच्चों का कोना "बाल-शिल्पी" [प्रस्तुति एवं संपादन - डॉ. मोहम्मद अरशद खान] बाल-शिल्पी अंक-1

साहित्य शिल्पी पर यह घोषणा करते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि बाल-साहित्य पर रोचक और बाल-मन प्रिय प्रस्तुतियों का दायित्व अब डॉ. मोहम्मद अरशद खान नें लिया है। ई-पत्रिका पर बाल साहित्य का संपादन सहज कार्य तो हर्गिज नहीं है। डॉ. खान स्वयं भी साहित्यकार हैं तथा बाल साहित्य के प्रति उनका प्रगाढ समर्पण है।

आज हम नन्हें बच्चों और उनके अविभावकों से, अब साहित्य शिल्पी पर प्रतिमाह पहली एवं तीसवी तारीख को अपरन्ह 1.00 बजे प्रकाशित होने वाले अंक के "संपादक" डॉ. मोहम्मद अरशद खान से परिचित करा रहे हैं। बालसाहित्य पर केन्द्रित इस पाक्षिक अंक को नाम दिया गया है - बाल शिल्पी।

तो प्यारे बच्चों और अविभावकों हमें प्रतीक्षा रहेगी "बाल शिल्पी" पर प्रकाशित होने वाले हर अंक पर आपके सुझावों और सहयोग की।

आज के अंक में आप अपने संपादक को जानें -


नाम- डा0 मोहम्मद अरशद खान

पिता- श्री मोहम्मद यूसुफ खान

माता- श्रीमती शमीमा बानो

जन्मतिथि- 17.09.1977

जन्म-स्थान- उधौली(बाराबंकी)

शिक्षा- एम0ए0(हिन्दी), पीएच0डी0
जे0आर0एफ0(नेट)

प्रकाशन- देश की सभी प्रमुख बाल पत्र-पत्रिकाओं में 1990
से निरंतर प्रकाशन

पुस्तकें-
1-रेल के डिब्बे में(बाल कविता संग्रह)
2-किसी को बताना मत(बाल कहानी संग्रह)

पुरस्कार/सम्मान-
1-चिल्ड्रेन बुक ट्रस्ट द्वारा कहानियां पुरस्कृत-प्रतियोगिता अपप-अपपप में
2-नागरी बाल साहित्य संस्थान बलिया द्वारा सम्मनित-2002
3-पं0 हरप्रसाद पाठक स्मृति पुरस्कार-2008
4-राष्ट्रीय बाल साहित्य सम्मान समारोह-2006 अल्मोडा में
सम्मानित

संप्रति- जी0 एफ0 पी0 जी0 कालेज शाहजहांपुर में असिस्टेंट प्रोफेसर

संपर्क- हिंदी विभाग़,जी0 एफ0 कालेज, शाहजहांपुर-242001


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आज की बात
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कैसा हो बाल साहित्य ? - निरंकार देव सेवक

‘‘बड़े लोग अपनी इच्छाओं, आकांक्षाओं, आदर्शों, विश्वासों और मान्यताओं को अच्छा समझकर उन पर जबर्दस्ती लाद देना चाहते हैं। वह उसे या तो कट्टर हिंदू बना देना चाहते हैं, या पक्का मुसलमान, या हिंदुस्तानी, या पाकिस्तानी। उनकी सारी शक्ति इसी बात में लगी रहती है कि वह उन्हें दूसरा गांधी, लेनिन, राम, कृष्ण, सुभाष या नेहरू बना दें। उनके सारे शिक्षा विभाग औरा वेतन भोगी अध्यापक इसी प्रयत्न में लगे रहते हैं, और वह सब इसे अपना ईश्वर प्रदत्त अधिकार समझते हैं और कर्तव्य भी।’’

- (‘बाल गीत साहित्य’ से)


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तो प्रतीक्षा कीजिये अगले अंक की
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