
मुश्किलों में भी ऐ यारो मुस्कुराते ही रहे
इस तरह हम ज़िन्दगानी को लुभाते ही रहे।
ऐ मेरी किस्मत जो चाहा तूने वो हमने किया
हर तमन्ना ज़िन्दगी भर हम दबाते ही रहे।
मुफ़िलसी का साथ था और ग़म मेरे हमराज़ थे
फिर भी ख़ुशियों के तराने गुनगुनाते ही रहे।
हर तरफ़ छाया अंधेरा, ज़िन्दगानी में मगर
फिर भी हिम्मत के दिये हम नित जलाते ही रहे।
जेब थी ख़ाली मगर दिल में उमंगें थीं हज़ार
ख़्वाब की ताबीर मेहनत से सजाते ही रहे।
फिर मिले वो प्यार का जिसने नशा हमको दिया
उस नशे में आजतक हम डगमगाते ही रहे।
जब बहार आई चमन में फूल सुन्दर से खिले
हम उन्हीं फूलों से जीवन को सजाते ही रहे।
ज़िन्दगी भर जो ज़माने से मिला हमने लिया
फिर भी जब मौक़ा मिला सबको हंसाते ही रहे।
हमको शिकवा था किसी से, ना ही था कोई गिला
वक्त जैसा बीता वैसा हम बिताते ही रहे।
5 टिप्पणियाँ
फिर मिले वो प्यार का जिसने नशा हमको दिया
जवाब देंहटाएंउस नशे में आजतक हम डगमगाते ही रहे।
जब बहार आई चमन में फूल सुन्दर से खिले
हम उन्हीं फूलों से जीवन को सजाते ही रहे।
ग़ज़ल बेहतरीन है
वहुत अच्छी पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएं-Alok Kataria
Ghazal pasaNd aai khayalat tou behtareen hayeN hi per dou bhashaoN ka ati sunder mishran lajawaab haye. Urdu Hindi donoN ki chalti phirti yani aam faham shabdawali hae jo dil meN utar jati hai.
जवाब देंहटाएंGhzalkar ko badhai.Unki aur ghazleN bhi padhna pasand karuNgi.
zakia aazmi
ज़किया जी से सहमत हूँ। तेजेन्द्र जी की और भी गज़ले पढने की इच्छा है।
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.