
मोहन ने कहा “देख यार जमाना बदल गया है। आज सबसे पहले तो लड़के की योग्यता देखनी चाहिए फिर ही कोई फैसला लेना चाहिए। केवल धन दौलत देखकर लड़की की शादी कर देना कोई अक्लमंदी नहीं है।“
“मोहन, अजय है तो बहुत योग्य लड़का। वह मेरी लड़की के बराबर शैक्षिक योग्यता भी रखता है लेकिन वह बहुत गरीब घर से है उसने यहां तक पढ़ाई कैसे की है यह बात पूरे समाज में किसी से छिपी नहीं है और एक तरफ विजय है जो दसवीं फेल है परन्तु उसके पास पैसों की कोई कमी नहीं है। आखिर कौन बाप अपनी बेटी को सुखी देखना नहीं चाहता?“ रामू ने कहा।
रामू ने समझदारी दिखाते हुए अपनी लड़की का विवाह विजय से कर दिया। लड़की के मना करने के बावजूद उसकी एक नहीं सुनी गई। योग्यता पैसों के आगे बौनी साबित हुई।
7 टिप्पणियाँ
योग्यता पर पैसा हमेशा भारी पडा है
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएं-Alok kataria
जनांगल जी की लघुकथा आज के समय का ही सच दिखाती है यद्यपि कहानी में कोई मोड या नयापन भी होता तो और प्रभावित करती
जवाब देंहटाएंअच्छी कहानी, बधाई।
जवाब देंहटाएंसच है
जवाब देंहटाएंसामान्य प्राणी के जीवन मे पेशोपेश का सुन्दर उदाहरण है यह कहानी
जवाब देंहटाएंअच्छी कहानी...बधाई
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.