
जब कोई मिला गया मुस्कुराते रहे
दर्द से एक रिश्ता जो कायम हुआ
उम्र भर हम वो रिश्ता निभाते रहे
कोई अपना मिला ही नहीं भीड़ में
लोग आते रहे और जाते रहे
दर्द दुनिया का तुमने सुना कब भला
तुम तो अपनी ही ढपली बजाते रहे
वक़्त, किस्मत, अना, मुफलिसी और वो
ज़िन्दगी भर मुझे आजमाते रहे
3 टिप्पणियाँ
nice
जवाब देंहटाएं-Alok Kataria
अच्छी गज़ल...बधाई
जवाब देंहटाएंnice post
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.