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वह पत्र जो नहीं लिख सका [कविता] - त्रिजुगी कौशिक

हाँलाकि
मैंने कभी नहीं लिखा
तुम्हें पत्र

लिखता तो वह
प्रेम पत्र ही होता
पता नहीं कहाँ गये वे शब्द
जो मैंने तुम्हें लिखे थे।

लिख नहीं सका प्रेम पत्र
वे शब्द कहाँ हैं
जो मैंने तुम्हारे लिये लिखे थे
शायद
किसी डायरी के कोने में हों।

यदि मैं तुम्हें लिख पाता
तो वह मेरा प्रेमपत्र ही होता।

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