
मैंने कभी नहीं लिखा
तुम्हें पत्र
लिखता तो वह
प्रेम पत्र ही होता
पता नहीं कहाँ गये वे शब्द
जो मैंने तुम्हें लिखे थे।
लिख नहीं सका प्रेम पत्र
वे शब्द कहाँ हैं
जो मैंने तुम्हारे लिये लिखे थे
शायद
किसी डायरी के कोने में हों।
यदि मैं तुम्हें लिख पाता
तो वह मेरा प्रेमपत्र ही होता।
2 टिप्पणियाँ
अच्छी कविता...बधाई
जवाब देंहटाएंapaka prem patra padha achha laga , bhai abhi bhi prem kar rahe ho badhai -Sharad Chandra Gaur
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.