
अपने झूठे गुमान से डरिये
दिग्भ्रमित आप जिससे हो जायें
ऎसी मीठी जुबान से डरिये
बीच मझधार छोड दे ला कर
अपने एसे सुजान से डरिये
झूठ दर्पण कभी नहीं कहता
नियति के विधान से डरिये
जो भी आये खरीद ले जाये
उन के दिल की दुकान से डरिये
सैंकडों दर्द हैं बसे आलम
अपनी छोटी सी जान से डरिये
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