
भारतीय सिनेमा आरंभ से ही एक सीमा तक भारतीय समाज का आईना रहा है जो समाज की गतिविधियों को रेखांकित करता आया है। पिछले पांच दशकों की बात करें तो देखने को मिलेगा कि भारतीय सिनेमा ने शहरी दर्शकों को ही नहीं गांव के दर्शकों को भी प्रभावित किया है। टेलिविजन के प्रसार के कारण अब विश्व के प्रत्येक भूभाग में हिन्दी फिल्मों तथा हिन्दी फिल्मी गानों की लोकप्रियता सर्वविदित है। आज हिंदी की व्यापक लोकप्रियता और इसे संप्रेषण के माध्यम के रूप में मिली आम स्वीकृति किसी संवैधानिक प्रावाधान या सरकारी दबाव का परिणाम नहीं है। मनोरंजन और फिल्म की दुनिया ने इसे व्यापार और आर्थिक लाभ की भाषा के रूप में जिस तरह विस्मयजनक रूप से शनैः शनैः स्थापित किया। इसने आज इसके पारंपरिक विरोधियों व उनके दुराग्रहों का मुंह बंद कर दिया है।
भाषा-प्रसार उसके प्रयोक्ता-समूह की संस्कृति और जातीय प्रश्नों को साथ लेकर चला करता है। भारतीय सिनेमा निश्चय ही हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में अपनी विश्वव्यापी भूमिका का निर्वाह कर रहा है। उनकी यह प्रक्रिया अत्यंत सहज, बोधगम्य, रोचक, संप्रेषणीय और ग्राह्य हैं। हिन्दी यहाँ भाषा, साहित्य और जाति तीनों अर्थों में ली जा सकती है। जब हम भारतीय सिनेमा पर दृष्टिपात करते हैं तो भाषा का प्रचार-प्रसार, साहित्यिक कृतियों का फिल्मी रुपांतरण, हिंदी गीतों की लोकप्रियता, हिन्दी की उपभाषाओं, बोलियों का सिनेमा और सांस्कृतिक एवं जातीय प्रश्नों को उभारने में भारतीय सिनेमा का योगदान जैसे मुद्दे महत्वपूर्ण ढंग से सामने आते हैं। हिन्दी भाषा की संचारात्मकता, शैली, वैज्ञानिक अध्ययन, जन संप्रेषणीयता, पटकथात्मकता के निर्माण, संवाद लेखन, दृश्यात्मकता दृश्य भाषा, कोड निर्माण, संक्षिप्त कथन, बिम्ब धर्मिता, प्रतीकात्मकता, भाषा-दृश्य की अनुपातिकता आदि मानकों को भारतीय सिनेमा ने गढ़ा है। भारतीय सिनेमा हिन्दी भाषा, साहित्य और संस्कृति का लोकदूत बनकर इन तक पहुँचने की दिशा में अग्रसर है।
दरअसल हमेशा यह कहना कठिन होता है कि समाज और समय सिनेमा में प्रतिबिम्बित होता है या सिनेमा से समाज प्रभावित होता है। दोनों ही बातें अपनी-अपनी सीमाओं में सही हैं। कहानियां कितनी भी काल्पनिक हों कहीं तो वो इसी समाज से जुड़ी होती हैं। यही सिनेमा में भी अभिव्यक्त होता है। लेकिन हां बहुत बार ऐसा भी हुआ है कि सिनेमा का असर हमारे युवाओं और बच्चों पर हुआ है सकारात्मक और नकारात्मक भी। अत: हर माध्यम के अपने प्रभाव होते हैं समाज पर।
भारतीय सिनेमा के आरंभिक दशकों में जो फिल्में बनती थीं उनमें भारतीय संस्कृति की महक रची बसी होती थी तथा विभिन्न आयामों से भारतीयता को उभारा जाता था। बहुत समय बाद पिछले दो वर्षों में ऐसी दो फिल्में देखी हैं जिनमें हमारी संस्कृति की झलक थी। देश के आतंकवाद पर भी कुछ अच्छी सकारात्मक हल खोजतीं फिल्में आई हैं।
आज भारत साल में सर्वाधिक फिल्में बनाने में अग्रणी है, माना अत्याधुनिक उपकरणों, उत्कृष्ट प्रस्तुति के साथ यह नए युग में पहुंच चुका है, लेकिन गुणवत्ता के मामलों में भारतीय सिनेमा को और भी दूरी तय करनी है। साथ ही यह तय करना है कि समाज के उत्थान में उसकी क्या भूमिका हो अन्यथा टेलीविज़न उसे पीछे छोड़ देगा।
भाषा स्थानांतरण दुनिया के उत्कृष्ट कार्यक्रमों को हिंदी के माध्यम से रातों-रात करोड़ों नए दर्शक दे रहा है। यह स्वतंत्र बाज़ार और प्रतिस्पर्धा का आज का स्वीकृत खेल है। एक बात अवश्य है कि एक ओर हिंदी भाषा बाज़ार और मुनाफ़े की कुंजी बन रही है।
आज हालीवुड के फिल्म निर्माता भी भारत में अपनी विपणन नीति बदल चुके हैं। वे जानते हैं कि यदि उनकी फिल्में हिंदी में रूपांतरित की जाएगी तो यहाँ से वे अपनी मूल अँग्रेज़ी में 'निर्मित चित्रों' के प्रदर्शन से कहीं अधिक मुनाफ़ा कमा सकेंगे। हालीवुड की आज की वैश्विक बाज़ार की परिभाषा में हिंदी जानने वालों का महत्व सहसा बढ़ गया है। भारत को आकर्षित करने का उनका अर्थ अब उनकी दृष्टि में हिंदी भाषियों को भी उतना ही महत्व देना हैं। परन्तु आज बाज़ार की भाषा ने हिंदी को अंग्रेज़ी की अनुचरी नहीं सहचरी बना दिया है।
आज टी.वी. देखने वालों की कुल अनुमानित संख्या जो लगभग 10 करोड़ मानी गई है उसमें हिंदी का ही वर्चस्व है। आज हम स्पष्ट देख रहे हैं कि आर्थिक सुधारों व उदारीकरण के दौर में निजी पहल का जो चमत्कार हमारे सामने आया है इससे हम मानें या न मानें हिंदी भारतीय सिनेमा के माध्यम से दुनिया भर के दूरदराज़ के एक बड़े भू-भाग में समझी जाने वाली भाषा स्वतः बन गई है।
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डॉ. काजल बाजपेयी
संगणकीय भाषावैज्ञानिक
सी-डैक, पुणे
3 टिप्पणियाँ
nice
जवाब देंहटाएं-Alok Kataria
aj ki mang hai is prkar ke lakho ki
जवाब देंहटाएंaj ki mang hai is prkar ke lakho ki
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.