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यही हमारा हिन्दोस्तान है [कविता] - अलबेला खत्री

मन्दिर में हो रही आरती, मस्जिद में अज़ान है
गुरुद्वारों में शबद गूंजते , चर्च में प्रे परवान है
जिनालयों में णमोकार, अगियारी ज्योतिमान है
बौद्ध मठों में मंगलगान है ........................
यही हमारा हिन्दुस्तान है ........................

बाइबिल से झगड़ा करने
गुरुवाणी किस दिन आई ?
किस दिन अगियारी ने
देरासर को आँख दिखाई ?
किस दिन मस्जिद की मीनारें

मन्दिर से टकराई ?
और किस दिन चौपाई ने
आयत के घर आग लगाई ?

________________नानक जीसस महावीर बुद्ध
________________सारे एक समान हैं
________________मैं जिसको कहता हूँ राम
________________वो ही तेरा रहमान है
________________मेरे घर में गीता है और
________________तेरे घर कुरआन है

सब का आदर और सम्मान है
यही हमारा हिन्दुस्तान है .................................
यही हमारा हिन्दुस्तान है
अपना प्यारा हिन्दुस्तान है।

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9 टिप्पणियाँ

  1. अलबेला जी की यह कविता भारत की धर्मनिर्पेक्ष संस्कृति की परिचायक है

    जवाब देंहटाएं
  2. सब का आदर और सम्मान है
    यही हमारा हिन्दुस्तान है

    सोलह आने की एक बात।

    जवाब देंहटाएं
  3. अलबेला जी आप हास्य ही नहीं गंभीर कविता भी खूब करते हैं। अच्छी कविता की बधाई को स्वीकारें।

    जवाब देंहटाएं
  4. सभी धर्मों के इश्वर को एक मानना हमारे देश की पुरानी परंपरा रही है आपकी कविता में इसकी झलक मिलती है।

    जवाब देंहटाएं
  5. किस दिन मस्जिद की मीनारें
    मन्दिर से टकराई ?
    और किस दिन चौपाई ने
    आयत के घर आग लगाई ?

    बहुत अच्छी पंक्तियाँ हैं

    जवाब देंहटाएं

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