
गुरुद्वारों में शबद गूंजते , चर्च में प्रे परवान है
जिनालयों में णमोकार, अगियारी ज्योतिमान है
बौद्ध मठों में मंगलगान है ........................
यही हमारा हिन्दुस्तान है ........................
बाइबिल से झगड़ा करने
गुरुवाणी किस दिन आई ?
किस दिन अगियारी ने
देरासर को आँख दिखाई ?
किस दिन मस्जिद की मीनारें
मन्दिर से टकराई ?
और किस दिन चौपाई ने
आयत के घर आग लगाई ?
________________नानक जीसस महावीर बुद्ध
________________सारे एक समान हैं
________________मैं जिसको कहता हूँ राम
________________वो ही तेरा रहमान है
________________मेरे घर में गीता है और
________________तेरे घर कुरआन है
सब का आदर और सम्मान है
यही हमारा हिन्दुस्तान है .................................
यही हमारा हिन्दुस्तान है
अपना प्यारा हिन्दुस्तान है।
9 टिप्पणियाँ
अलबेला जी की यह कविता भारत की धर्मनिर्पेक्ष संस्कृति की परिचायक है
जवाब देंहटाएंnice and thanks
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
सब का आदर और सम्मान है
जवाब देंहटाएंयही हमारा हिन्दुस्तान है
सोलह आने की एक बात।
अलबेला जी आप हास्य ही नहीं गंभीर कविता भी खूब करते हैं। अच्छी कविता की बधाई को स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंसभी धर्मों के इश्वर को एक मानना हमारे देश की पुरानी परंपरा रही है आपकी कविता में इसकी झलक मिलती है।
जवाब देंहटाएंAlbela jee ne gagar mein sagar bhar diya hai.
जवाब देंहटाएंकिस दिन मस्जिद की मीनारें
जवाब देंहटाएंमन्दिर से टकराई ?
और किस दिन चौपाई ने
आयत के घर आग लगाई ?
बहुत अच्छी पंक्तियाँ हैं
अच्छी कविता...बधाई
जवाब देंहटाएंarthpoorn sunder rachna -badahai
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.