
माता तेरी पूजा, अर्चना कर, भक्ति निर्मल पातीं!
दीपक, कुम - कुम अक्षत ले कर, तेरी महिमा गातीं,
माँ दुर्गा तेरे दरसन कर के, वर , सुहाग का पातीं!
वह तेरी महिमा शीश नवां कर गातीं!
हाथ जुडा कर बाल नवातीं, धीरे से हैं गातीं,
"माँ! मेरा बालक भी तेरा" ~~~
ऐसा तुझको हैं समझातीं,
फिर फिर तेरी महिमा गातीं ~~
तेरी रचना, भू -मंडल है!
ऐसे गीत गरबे में गातीं
माता! तुझसे कितनी सौगातें,
भीख मांग ले जातीं!!
माँ! सजा आरती, सात सुहागिन,
तेरे दर्शन को आतीं,
मंदिर जा कर शीश नवाकर,
ये तेरी महिमा गातीं!
4 टिप्पणियाँ
Happy Navrtra
जवाब देंहटाएं-Alok Kataria
हमेशा की तरह लावण्या जी की लेखनी से एक उच्च कोटि की प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर भजन
जवाब देंहटाएंmata ke darshan ho gaye aap ki kavita main-jai
जवाब देंहटाएंmata di -badahai
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