
आज फिर एक स्थिर मूर्ति में
प्रकृति, मानव का सामंजस्य
आश्चर्य से युक्त परिवेश में
तूलिका से निर्मित
मन्त्र मुग्ध करते चित्र में
दर्पण के प्रतिबिम्ब सदृश्य।
मैं देखता ही रह गया
भूल गया अपने आपको
जीवन में प्रथम बार
साक्षात्कार कर
ऐसे प्रकृति-मानव के सौन्दर्य का
चाहता हूँ उतार लूं इस दृश्य को
अपने अर्न्तमन में
स्व व स्व से निर्मित होने वाले
वातावरणीय परिवेश के कल्याण के लिए;
धरा पर नित बढ़ रहे
प्रदूषण के प्रसार को रोकने
खुशहाली से युक्त
हरियाली के प्रसार के लिये।
ek sundar rachnaa |
जवाब देंहटाएंAvaneesh Tiwari
काश यह सामंजस्य सचमुच हो पाये। सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com