HeaderLarge

नवीनतम रचनाएं

6/recent/ticker-posts

हर दिवस यहाँ हो विजय पर्व [कविता] - श्रीप्रकाश शुक्ल

हर मन में पैठी यही कामना ,
प्रति दिवस यहाँ हो विजय पर्व
आये खुशहाली,तिमिर छटे,
हर कृतित्व पर करें गर्व

सम्पूर्ण विश्व ही मित्र बने ,
देशों के परस्पर द्वेष मिटें
सद्भाव पूर्ण सोचें समझें ,
आपस में मिल अंतर निपटें

दंभ , दर्प, अभिमान भरे हैं
जो मानव के अंतर्मन में
क्रोध, क्रूरता, दया हीनता,
पनप रही हैं जो जन जन में

ये आसुरीय अभिरुचियाँ ,
उखाड़ फेंकें हम जड़ से
धू धू कर जल उठे बुराई,
पायें विजय अहम् अर्पण से

होंसले हमारे हों बुलंद,
विश्वास अडिग, अपनी क्षमता पर
हर दिवस यहाँ हो विजय पर्व,
जब जीत पा सकें हम कटुता पर

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.

आइये कारवां बनायें...

~~~ साहित्य शिल्पी का पुस्तकालय निरंतर समृद्ध हो रहा है। इन्हें आप हमारी साईट से सीधे डाउनलोड कर के पढ सकते हैं ~~~~~~~

डाउनलोड करने के लिए चित्र पर क्लिक करें...