
भरत बाबू के घर में जिस दिन रोहित का जन्म हुआ था उसी दिन न जाने कहॉं से एक नन्हीं सी कुतिया घूमती-फिरती उनके दरवाज़े पर आ खड़ी हुई थी। उस दिन बेटा होने की खुशी में चलती दावत के बीच भरत बाबू ने दो पूरियॉं उसके आगे भी डाल दी थीं। वह कुतिया उन दो पूरियों के अहसान तले ऐसी दबी कि फिर कभी उनके दरवाजे़ से हिली तक नहीं।
तब का दिन है और आज का दिन, बची-खुची और रूखी-सूखी रोटियों के सहारे न केवल वह कुतिया और उसके बच्चे बल्कि उनके बच्चों के बच्चे तक उस घर की चौखट पर ही पलते बढ़ते रहे। उनके रहते हुए, क्या मजाल जो कोई ग़लत कदमों से उस चौखट को पार भी कर पाता।
सुख हो या दुख अथवा अनेक बार दुत्कारे जाने के बावजू़द उन्होंनें कभी भरत बाबू की चौखट नहीं छोड़ी। परन्तु अपने जिस बेटे को भरत बाबू ने बड़े लाड़ और प्यार से पाला था, वह मॉं-बाप को सहारा देने का समय आते-आते अपना अलग घर बसा चुका था।
-----
लेखक परिचय
-----
नाम: किशोर श्रीवास्तव
जन्म स्थान: पूर्वी चंपारन
शिक्षा: संपादन कला विशारद, एमए, एलएलबी,पीजीजेएमसी,संगीत (गायन/वादन) में कनिष्ठ डिप्लोमा आदि।
संप्रति: नई दिल्ली स्थित केंद्र सरकार के एक कार्यालय में सहायक निदेशक के पद पर कार्यरत
प्रकाशित कृतियॉं: अभागा राजकुमार (बाल उपन्यास), पक्षियों के सुंदर घर, रिश्तों की डोर, पक्षियों की एकता एवं अपना घर (बाल कहानी संग्रह), खरी-खरी (सामाजिक कार्टूनों एवं लघु रचनाओं का संग्रह), कटाक्ष (लघुकथा संग्रह), आप बीती, जग बीती (व्यंग्य संग्रह)।
संपादन: विभिन्न सरकारी/गैर सरकारी पत्र/पत्रिकाओं एवं स्मारिकाओं आदि का संपादन/रेखांकन। कुछ स्मारिकायें स्वयं की हस्तलिपि में प्रकाशित। वर्तमान में सरकारी सेवा के साथ-साथ अवैतनिक रूप से हम सब साथ साथ द्विमासिक पत्रिका के कार्यकारी संपादक के पद पर कार्यरत।
पुरस्कार/सम्मान: रेड एंड व्हाइट सामाजिक बहादुरी पुरस्कार,राष्ट्र गौरव पुरस्कार, राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान, स्व. जगदीश कश्यप स्मृति लघुकथा सम्मान, चिल्ड्रेन बुक ट्रस्ट बाल कहानी पुरस्कार,महाराज कृष्ण जैन सम्मान, राष्ट्रीय एकता सम्मान एवं राष्ट्रभाषा आदि विभिन्न सम्मानों सहित समाज सेवा,व्यंग्य चित्रकारी, गीत, संगीत एवं लेखन आदि के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाओं/उपलब्धियों के चलते श्रीमती किरन बेदी,पद्मश्री बरसाने लाल चतुर्वेदी, श्रीमती विमला मेहरा, श्रीमती अंजना कंवर एवं श्री लहरी सिंह आदि जैसी हस्तियों के साथ अनेक पुरस्कार/सम्मान प्राप्त।
विशेष उपलब्धि: अपने कार्टून, लघु कथाओं एवं छोटी-छोटी कविताओं के माध्यम् से विभिन्न सामाजिक/साम्प्रदायिक विसंगतियों पर कटाक्ष करती एवं सामाजिक/साम्प्रदायिक सद्भाव व मैत्री-भाईचारे के प्रचार-प्रसार हेतु निर्मित लगभग 100 रंगीन पोस्टरों की प्रदर्शनी "खरी-खरी" का वर्ष 1985 से देश के विभिन्न स्थानों पर निःशुल्क प्रदर्शन।
4 टिप्पणियाँ
जानवर हमेशा यह सिद्ध करते रहे हैं कि उनमें इंसानियत इंसानों से अधिक है।
जवाब देंहटाएंआजकल यही तो हो रहा है
जवाब देंहटाएंयद्यपि इस विषय पर अनेको बार लिखा गया है फिर भी इसे अच्छी लघुकथा कहूँगा
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएं-Alok Kataria
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.