
हाथो में एल्मुनियम का गन्दा कटोरा
तरकारी के कुछ रसीले आलू
जिन पर कुछ मक्खियाँ भिनभिना रही हैं
और बोल रही हों पहले हमे खाना है
वो मैले नन्हे हाथों से
उन्हें हटाने कि मासूम कोशिस
गिडगिडती हुई आवाज़ में
हँसने का प्रयास
अंग्रेजी के कुछ शब्दों को
बार बार दुहराते हैं
वो राजधानी में
पेट में हाथ फेरते है और
थेंक यू, थेंक यू बोलते है
वो बचपन की आवाज़ है
या किसी शातिर दिमाग की चाल है
ऐसे ना जाने कितने मेरे मन में सवाल हैं
पर वो बेबस हैं, बदहाल हैं
जो भी हैं कमाल हैं
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कवि परिचय
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नाम - नीरज पाल
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले का रहने वाले हैं तथा वर्तमान में गुडगाँव में रह रहे हैं।
संप्रति - एक विज्ञापन एजेंसी में कॉपीराईटर
शिक्षा - एम बी ए
रचना धर्मिता - उत्तर प्रदेश के कई मंचों पर काव्यपाठ।
ब्लॉग का पता - www.neerajkavi.blogspot.com
9 टिप्पणियाँ
नीरज की कविता संवेदना को उकेरती है
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएं-Alok Kataria
वो बचपन की आवाज़ है
जवाब देंहटाएंया किसी शातिर दिमाग की चाल है
ऐसे ना जाने कितने मेरे मन में सवाल हैं
पर वो बेबस हैं, बदहाल हैं
जो भी हैं कमाल हैं
अच्छी अभिव्यक्ति
अच्छी कविता...बधाई
जवाब देंहटाएंआप सभी महानुभावों की बहुमूल्य टिप्पणीयों का शुक्रिया .........
जवाब देंहटाएंसुंदर भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंdhnywad geeta ji
जवाब देंहटाएंगरीबो का बचपन ..क्या वो एक अच्छी जिंदगी जीने के हक़दार नहीं है
जवाब देंहटाएं"वाह नीरज जी बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति "
यु ही लिखिए और आसमान को अपनी मुठी में करिये ......:)
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.