
द्दढ़ ताकत बन जाते
बड़े बड़े दुश्मन तक इसके
आगे ठहर न पाते|
ईंट से ईंट जुड़ी तो
कई मंजिल का घर बन जाता
अंगुली का मुट्ठी बन जाना
किसे समझ न आता|
मधुमक्खी के झुंड
बड़े शैतानों को डस लेते
तिनकों वाली रस्सी से
शेरों को भी कस देते|
टुकड़ों टुकड़ों बँटे देश पर
परदेसी क्यों छाये
इसी फूट के कारण वर्षों
कब्जा रहे जमाये|
जाति धर्म वर्गों का बटना
रहा देश को घातक
मिलकर रहने का फिर भी
कुछ मोल न समझा अब तक|
रहना है तो रहो देश में
हिन्दुस्तानी बनकर
एक देश हैं एक वतन हैं
कहो सभी से तनकर|
5 टिप्पणियाँ
वाह वाह....बच्चों को अगर अच्छा साहित्य पढ़ने को मिले तो
जवाब देंहटाएंआगे आने वाला समय अपने आप बदल जाएगा....
बहुत सुंदर बाल गीत....आभार आपका....
nice
जवाब देंहटाएं-Alok Kataria
एकता का गर्वित वर्णन लिये सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंमनमोहक और संदेश से भरी बाल कविता के लिये बधाई।
जवाब देंहटाएंअच्छी गीत...बधाई
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.