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एक देश हैं एक वतन हैं [बाल-गीत] - प्रभुदयाल श्रीवास्तव

मिले हाथ से हाथ तो मिलकर
द्दढ़‌ ताकत बन जाते
बड़े बड़े दुश्मन तक इसके
आगे ठहर न पाते|

ईंट से ईंट जुड़ी तो
कई मंजिल का घर बन जाता
अंगुली का मुट्ठी बन जाना
किसे समझ न आता|

मधुमक्खी के झुंड
बड़े शैतानों को डस लेते
तिनकों वाली रस्सी से
शेरों को भी कस देते|

टुकड़ों टुकड़ों बँटे देश पर
परदेसी क्यों छाये
इसी फूट के कारण वर्षों
कब्जा रहे जमाये|

जाति धर्म वर्गों का बटना
रहा देश को घातक
मिलकर रहने का फिर भी
कुछ मोल न समझा अब तक|

रहना है तो रहो देश में
हिन्दुस्तानी बनकर
एक देश हैं एक वतन हैं
कहो सभी से तनकर|

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5 टिप्पणियाँ

  1. वाह वाह....बच्चों को अगर अच्छा साहित्य पढ़ने को मिले तो
    आगे आने वाला समय अपने आप बदल जाएगा....

    बहुत सुंदर बाल गीत....आभार आपका....

    जवाब देंहटाएं
  2. एकता का गर्वित वर्णन लिये सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं
  3. मनमोहक और संदेश से भरी बाल कविता के लिये बधाई।

    जवाब देंहटाएं

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