
दो साल से उनकी (अनाथ) मुस्कान सो रही है,
और बढ़ रही उसकी (कसाब) उम्र दो साल से|
दो साल से उनका (न्यायालय) का निर्णय आ रहा,
दो साल से उनका (जनता) का विश्वास जा रहा,
और बढ़ रही उसकी (कसाब) उम्र दो साल से|
दो साल से वो सब (राजनीति) हो रही,
दो साल से उसकी (देश) अस्मिता खो रही ,
और बढ़ रही उसकी (कसाब) उम्र दो साल से|
6 टिप्पणियाँ
सही सबाल उठाये हैं अवनीश जी। हम आतंकवादियों को पालना कब बंद करेंगे पता नहीं।
जवाब देंहटाएंऔर बढ़ रही उसकी (कसाब) उम्र दो साल से
जवाब देंहटाएंऔर पता नहीं कितने साल चलेगी
यह एक सवाल है देश की जनता से | जनता जो स्वार्थ के लिए गुस्से में आ दंगा कर शहर फूंक सकती है , जो मस्जिद ढा सकती है , वो कसाब को नरक में भेजने के लिए इतनी शिथिल कैसे ?
जवाब देंहटाएंश्रद्धांजली और कायरता में अंतर स्पष्ट किया जाना चाहिए |
अवनीश तिवारी
अवनीश भाई आपका गुस्सा जायज है लेकिन अफजलों कसाबों की उम्र बढती ही रहेगी। अफसोस है।
जवाब देंहटाएंलेखनी ने ना कब झुकाए ताजो-तख़्त....
जवाब देंहटाएंलिखते रहें....समय कभी तो बदलेगा....
आभार..
गीता .
अच्छी कविता...बधाई
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.