
यह समाचार देते हुए अपार दु:ख हो रहा है कि आदर्णीय महावीर शर्मा नहीं रहे। महावीर जी कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे तथा पिछले दो सप्ताह से अस्पताल में थे। 17 नवम्बर 2010 को अपरान्ह 1.30 बजे लंदन में उन्होंने इस जगत से विदा ली। हिन्दी जगत स्तब्ध है।
महावीर शर्मा जी का जन्म दिल्ली में 1933 को हुआ था। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से एम.ए की उपाधि ली तथा लन्दन विश्वविद्यालय तथा ब्राइटन विश्वविद्यालय में गणित, ऑडियो विज़ुअल एड्स तथा स्टटिस्टिक्स का अध्ययन किया। आप उर्दू के भी जाने माने विद्वान थे।
आप १९६२ से १९६४ तक स्व: श्री उच्छ्रंगराय नवल शंकर ढेबर भाई जी के प्रधानत्व में भारतीय घुमन्तूजन (Nomadic Tribes) सेवक संघ के अन्तर्गत राजस्थान रीजनल ऑर्गनाइज़र के रूप में कार्य करते रहे। आपने १९६५ में इंग्लैण्ड के लिये प्रस्थान किया। आपने १९८२ तक भारत, इंग्लैण्ड तथा नाइजीरिया में अध्यापन कार्य भी किया । आपका अनेकों एशियन संस्थाओं से संपर्क रहा। आपने तीन वर्षों तक एशियन वेलफेयर एसोशियेशन के जनरल सेक्रेटरी के पद पर भी सेवा की है। १९९२ में स्वैच्छिक पद से निवृत्ति के पश्चात लन्दन में ही आप रहे।
आपकी साहित्यिक मेधा अतुलनीय थी। १९६० से १९६४ की अवधि में आपकी 'महावीर यात्रिक' के नाम से कुछ हिन्दी और उर्दू की मासिक तथा साप्ताहिक पत्रिकाओं में कविताएं, कहानियां और लेख प्रकाशित होती रहीं । आपका १९६१ तक रंग-मंच से भी जुड़ाव रहा।
हिंदी पत्रिकाओं तथा ई-पत्रिकाओं जैसे “कादम्बिनी”,”सरिता”, “गृहशोभा”, “पुरवाई”(यू. के.), “हिन्दी चेतना” (अमेरिका), “पुष्पक”, तथा “इन्द्र दर्शन”(इंदौर), “कलायन”, “गर्भनाल”, “काव्यालय”, “निरंतर”,”अभिव्यक्ति”, “अनुभूति”, "साहित्य शिल्पी", “साहित्यकुञ्ज”, “महावीर”, “मंथन”, “अनुभूति कलश”,”अनुगूँज”, “नई सुबह”, “ई-बज़्म” आदि में हिन्दी और उर्दू भाषा में कविताएं ,कहानियां और लेख प्रकाशित होते रहे हैं।
साहित्य शिल्पी के लिये यह "निजी क्षति" भी है। महावीर शर्मा जी का व्यक्तिगत स्नेह तथा मार्गदर्शन साहित्य शिल्पी को निरंतर प्राप्त होता रहा था। उन्होंने समय समय पर साहित्य शिल्पी को न केवल अपनी रचनायें प्रदान कर इस अभियान का उत्साह बढाया था अपितु अनेकों आलेखों पर टिप्पणी के रूप में तथा इस मंच पर परिचर्चाओं में वे सक्रियता से जुडे हुए थे। साहित्य शिल्पी परिवार शोकसंतप्त है तथा उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
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लावण्या शाह जी नें महावीर शर्मा जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि: -
"अत्यंत दुःख के साथ आज यह समाचार यूं.के से भाई श्री दीपक ' मशाल जी ने सुबकते हुए बतलाया तो स्तब्ध रह गयी हूँ! हमारे सभी के अपने आदरणीय दादा भाई , महावीर शर्मा जी चले गये .........। ऐसा लगा मानों पुन: एक बार एक पिता तुल्य साया सर से उठ गया। स्व. पण्डित नरेंद्र शर्मा, मेरे पूज्य पिता की तरह मैं उन्हें बहुत सम्मान से, श्रद्धा व आदर से नमन करती हूँ। पूज्य पापाजी की तरह, स्नेह से सजजनता से हरेक इंसान के साथ वार्तालाप करते हुए, ग़ज़ल की बारीकियों को सिखलाते हुए और दीपावली, होली जैसे त्योहारों पर साग्रह नई रचनाओं को हम रचनाकारों से मंगवाकर अपने प्रतिष्ठित हिन्दी ब्लॉग पर सचित्र सजाते हुए, कर्मठ, मृदु स्वभाव लिए हमारी आदरणीय महावीर जी सतत हिन्दी भाषा की सेवा में निमग्न रहे। इस अपूरणीय क्षति से मन खिन्न है। कोइ ना रहा है ना रहेगा परंतु यादें हम अंतिम सांस तक, ह्रदय के स्मृति कोष में जोड़ कर जीयेंगें ...उनके लिए जलाई ज्योति को , मैं , भरे मन से, प्रणाम कर रही हूँ ....। मेरी सच्चे मन से की हुई प्रार्थना प्रभू स्वीकार करें, कि उस परम प्रकाश में उनकी आत्म ज्योति को शाश्वत स्थान दें ..........। सादर , स स्नेह, अश्रु पूरित श्रद्धांजलि।"
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श्री जयप्रकाश मानस, सम्पादक सृजनगाथा नें महावीर जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि -
"महावीर शर्मा हिन्दी को जीते थे। वे एक सरस कवि और लेखक थे। उन्होंने उम्र के इस मुकाम पर भी हिन्दी और साहित्य खासकर प्रवासी साहित्य के संवर्धन और प्रसार के लिए अपनी साधना को रेखांकित किया है। वे विदेश मे रहकर भी देशीमन से जीते थे। सृजनगाथा परिवार की ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।"
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श्री प्राण शर्मा महावीर जी के अनन्य मित्र भी हैं। उन्होंने अपनी पीडा को शब्द दिये है: -
अपने सुख की फिक्र न करना आपसे हमने सीखा जी
बेगाने के दुःख को हरना आपसे हमने सीखा जी
मुश्किल से हर बार उबरना आपसे हमने सीखा जी
तूफां में उस पर उतरना आपसे हमने सीखा जी
क्यों न मनाऊँ शुक्र आपका , मीठी - मीठी बातों से
हर इन्सां के दिल में उतरना आपसे हमने सीखा जी
यूँ तो आपकी सब बातों का कोई जवाब न था लेकिन
गागर में सागर को भरना आपसे हमने सीखा जी
सुन्दरता की बात चली तो आपको देख के ध्यान आया
घट - घट से ए " प्राण " निखरना आपसे हमने सीखा जी
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यह कटु सत्य है कि हिन्दी और साहित्य को हुई यह क्षति कभी भरी नहीं जा सकेगी। आईये हम दिवंगत आत्मा के लिये प्रार्थना करें। ईश्वर शोक संतत्प परिवार को यह दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करे।
महावीर जी के सम्मान में साहित्य शिल्पी पर 18 तारीख को कोई रचना प्रकाशित नहीं की जायेगी।
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28 टिप्पणियाँ
बहुत दुखद समाचार है। महावीर जी हिन्दी सेवा में बहुत सक्रिय थे।
जवाब देंहटाएंयूँ तो आपकी सब बातों का कोई जवाब न था लेकिन
जवाब देंहटाएंगागर में सागर को भरना आपसे हमने सीखा जी
सुन्दरता की बात चली तो आपको देख के ध्यान आया
घट - घट से ए " प्राण " निखरना आपसे हमने सीखा जी
प्राण जी की इन पंक्तियों को उद्धरित करते हुए मैं महावीर जी को श्रद्धासुमन अर्पित करती हूँ।
shradhanjali.
जवाब देंहटाएं-Alok Kataria
विनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंमहावीर शर्मा जी को विनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंदिवंगत आत्मा को श्रद्धासुमन अर्पित करता हूँ
जवाब देंहटाएंSHRADDHANJALLI
जवाब देंहटाएंजिन्दगी है तो मौत भी शाश्वत है। लाखों लोग मरते हैं। मौत किसी की हो, दुखद है। लेकिन किसी सशक्त हस्ताक्षर की मौत से अक्सर एक शून्य उत्पन्न होता है। महावीर शर्मा जी की मृत्यु से सचमुच यही स्थिति उपस्थित हो गई है। विनम्र श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com
श्री महावीर शर्मा जी का इस तरह चले जाना साहित्य क्षेत्र और साहित्यकारों के लिए अपूरणीय क्षति है । उनका रचनाकर्म और व्यक्तित्व एक खुली किताब रहे हैं । उनका कृतित्व युवाओं के लिए हमेशा प्रेरणा के रूप में रहेगा । हिंदी भाषा की प्रगति के लिए उन्होंने बहुत कुछ किया । मेरी ओर से अश्रुपूरित श्रद्धांजलि ।
जवाब देंहटाएंहे भगवान ! क्यों छीन लिया आपने आदरणीय महावीर जी को हमसे ?
जवाब देंहटाएंमेरे प्रति उनका जो स्नेह , प्यार , अपनत्व और विश्वास था … अब कहां मिलेगा ? 20 वर्ष पहले मुझे अपने पिता को खो देने जैसा ही दुःख हो रहा है
अभी 20 अप्रैल 2010 को उनके जन्मदिवस पर मैंने उन्हें निम्नांकित शुभकामना संदेश भेजा था …
घर के ही बुजुर्ग जैसे , ऐसा अपनत्व !
व्यक्तित्व भी कृतित्व भी आदर्श-अभिराम है !
वीतराग शांत सौम्य ; गतिमान अक्षहंत
मारुति के सदृश ही महावीर नाम है !
ब्लॉग-बगिया के हे विराट वट वृक्ष !
मेरा आपको नमन कोटि , सहस्र प्रणाम है !
स्वस्थ हों , शतायु - दीर्घायु हों , चिरायु हों ,
हे दादाभाई ! जन्म दिन पर रामराम है !
नहीं मा'लूम था कि इतनी जल्दी उनके आशीर्वाद से भी वंचित हो जाऊंगा …
आज अंतिम प्रणाम कहते हुए आंखें आंसुओं से भीगी हुई हैं …
ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति और उनके परिवारजनों और चाहने वालों को यह दुःख सहने की सामर्थ्य प्रदान करे …
अश्रुपूरित विनम्र श्रद्धांजलि !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
It is a great loss.
जवाब देंहटाएंमहावीर जी के जाने से हिन्दी साहित्य जगत को एक अपूरणीय क्षति हुई है.....श्रद्धांजली
जवाब देंहटाएंमैं महावीर जी को श्रद्धासुमन अर्पित करती हूँ।
जवाब देंहटाएंये बहुत ही दुखद समाचार है ... सरल ह्रदय और शशक्त लेखनी के धनि महावीर जी को हमारी अश्रुपूर्ण श्रधांजलि ... इश्वर उनकी आत्मा को अपने चरणों में निवास दे ...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे साहित्यकार और बहुत अच्छे इंसान को खो देना बहुत दुखदायी है।
जवाब देंहटाएंकैसे-कैसे लोग रुख़सत कारवां से हो गये
कुछ फ़रिश्ते चल रहे थे जैसे इंसानों के साथ।
विनम्र श्रद्धांजलि!
अत्यंत दुखद ! नवम्बर का महीना जाते-जाते एक अपूरणीय क्षति दे गया । मेरी अश्रुपूर्ण श्रधांजलि !
जवाब देंहटाएंआदरणीय महावीर शर्मा जी से केवल ई-मेल व ब्लॉग के माध्यम से ही संपर्क रहा लेकिन उनसे जो अपनत्व प्राप्त हुआ वह हमेशा मेरी यादों में रहेगा। मेरे पहले ब्लॉग की पहली ग़ज़़ल उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर पोस्ट हुई थी और जब-जब मुझे आवश्यकता हुई मैनें निस्संकोच उनसे संपर्क किया और ग़ज़ल की आधार बारीकियों पर समुचित मार्गदर्शन मिला।
जवाब देंहटाएंमेरे लिये आदरणीय महावीर शर्मा जी का देहावसान व्यक्तिगत क्षति है। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को स्वर्ग में स्थान दे।
भोर से चलता हुआ वो थक गया है
चंद पल विश्राम लूँगा सोचता है।
फिर नई इक भोर में ऑंखें खुलेंगी
कुछ पलों के वास्ते गहरी निशा है।
ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति और उनके परिवारजनों और हम सभी साहित्यिक मित्रों को यह दुःख सहने की सामर्थ्य प्रदान करे …
जवाब देंहटाएंश्रद्धांजलि
कुलवंत सिंह
कल रात को जब पता चला तो मन को बहुत बड़ा अघात लगा .. मैं उनसे पिछले २ साल से परिचित था .. उनके ईमेल और चाट में की गयी बाते और उनका पितातुल्य प्रोत्साहन , मुझे हमेशा ही कुछ नया लिखने पर प्रेरित करता था.. उन्हें मेरी कविताये और मेरी फोटोग्राफी बहुत पसनद थी , उनके ब्लॉग पर उन्होंने मुझे इतने बड़े रचनाकारों के मध्य में स्थान देकर मुझे पर बहुत अनुग्रह किया था .. मैं क्या कहूँ , कल से कुछ अच्छा नहीं लग रहा है .. मेरा प्रणाम उनको ..
जवाब देंहटाएंविजय
ईश्वर दिंवगत आत्मा को शान्ति प्रदान करें और परिजनों को इस अपूर्णीय क्षति को वहन करने की शक्ति प्रदान करें
जवाब देंहटाएंश्रद्धांजली
जवाब देंहटाएंकल शाम से ही आहत हूँ इस अपूरनिया क्षति के लिए ब्लॉग में या ब्लॉग के बाहर साहित्य का स्तम्भ थे वो ! मेरा सौभाग्य है कि उनका प्यार और आशीर्वाद मुझे मिला है ! भगवान उनकी आत्मा को शान्ति दे !
जवाब देंहटाएंअर्श
अत्यंत दुखद समाचार !
जवाब देंहटाएंआदरणीय महावीर शर्मा जी नहीं रहे यह जानकर स्तब्ध हूं वह हम सब नवांकुरों के लिये सदैव प्रेरक थे.
उनका स्मरण साहित्य के साथ साथ हमारे अंतस में सदैव रहेगा
Respected friends of my father. We would like that you all so much for your kind and loving words of comfort at this very difficult time for us. Thank you also for providing my father with the opportunity to express his love for the beautiful Hindi language, poetry and literature.
जवाब देंहटाएंHe often spoke about the poetry community to us with such love, passion and emotion. It was such a huge part of his life and I know that you all brought him immense happiness. Thank you all again.
Affectionate respect from the Sharma family
महावीर जी को विनम्र श्रद्धांजलि। उनकी कमी खलेगी।
जवाब देंहटाएंबडी दुख भरी खबर है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। इस दुख की खडी में उनके परिवार को सहन करने का हौसला प्राप्त हो।
जवाब देंहटाएंनम हैं आँखे सिक्त मन है,
जवाब देंहटाएंआज अंतस में अगन है ||
आदरणीय महावीर शर्मा जी को मेरी श्रद्धांजली..
आप मेरे ब्लॉग पर मुझे आशीर्वाद देकर गये तब तक मैं आपको जानती नहीं थी , लेकिन मैं आपको आभार भी नहीं दे पायी...सोचा था अपनी पुस्तक आपको भेजकर पुन: आशीर्वाद प्राप्त करूंगी...आभार सहित.....आज जब पुस्तक मेरे हाथ में है तो आप नहीं हैं....
दुखद.....नमन आपको.
-- गीता पंडित
परिवार मे बैठकर चर्चा कर ही रहा था कि श्रद्धेय शर्मा जी से बातें की जाएँ |
जवाब देंहटाएंकिन्तु दुर्दैव-- , विधना के मन कुछ और ही था |
'उस' की खींचीं लकीरों की सीमा मे मनुष्य कितना बौना होता है |
सद्गत की आत्मा की परम शांति के करबध्द श्रद्धांजली |
प्रवीण पंडित
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.