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कुछ मेरी सुन कुछ अपनी सुनाने की बात कर [ग़ज़ल] - प्राण शर्मा

रोने की बात कर न रुलाने की बात कर
गर कर सके तो हँसने - हँसाने की बात कर

करता है अपने बंगले की हर रोज़ बात तू
निर्धन के कभी ठौर - ठिकाने की बात कर

पहले ही बढ़ रही हैं मेरे दोस्त दूरियाँ
लड़ने की बात कर न लड़ाने की बात कर

लो , भूल जाता हूँ सभी मैं भी कहा - सुना
तू भी कहे - सुने को भुलाने की बात कर

हमको तो घर बसाने का देता है मशवरा
तू भी तो अपने घर को बसाने की बात कर

छोटे से अपने कमरे में है " प्राण " चुपचुपी
कुछ मेरी सुन कुछ अपनी सुनाने की बात कर

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12 टिप्पणियाँ

  1. बहुत सुन्दर रचना है।

    हमको तो घर बसाने का देता है मशवरा
    तू भी तो अपने घर को बसाने की बात कर

    जवाब देंहटाएं
  2. लो , भूल जाता हूँ सभी मैं भी कहा - सुना
    तू भी कहे - सुने को भुलाने की बात कर

    प्राण साहब का ये पैगाम दुनिया के हर घर तक पहुँचाना चाहिए, ताकि आपसी प्रेम और भाईचारा बढे और ये दुनिया फिर से रहने के काबिल बन सके...जिंदगी में ढालने योग्य अशआरों से भरी ये गज़ल रोजाना पढ़ने योग्य है.
    इसे हम तक पहुंचाने के लिए साहित्य शिल्पी का तहे दिल से शुक्रिया.

    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  3. jindagi itni beraham na lagegi sanam
    gar tu mere saath nibhane ki baat kar.

    ye to bas padte-padte jahan me aa gaya so likh diya---ap ne kya khoob likha hai--badahai

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर गज़ल है खास कर ये शेर तो बहुत अच्छे लगे
    करता है अपने बंगले की हर रोज़ बात तू
    निर्धन के कभी ठौर - ठिकाने की बात कर

    पहले ही बढ़ रही हैं मेरे दोस्त दूरियाँ
    लड़ने की बात कर न लड़ाने की बात कर
    प्राण भाई साहिब को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सहजता के साथ आपने समय पर टिप्पणी की है प्राण जी आपने. बहुत सुन्दर गज़ल.

    रूपसिंह चन्देल

    जवाब देंहटाएं
  6. प्राण जी बधाई। अच्छी और सामयिक ग़ज़ल है-

    रोने की बात कर न रुलाने की बात कर
    गर कर सके तो हँसने - हँसाने की बात कर

    जवाब देंहटाएं
  7. एक सार्थक और सुन्दर रचना के लिए बहुत बधाई|


    अवनीश तिवारी

    जवाब देंहटाएं
  8. लो , भूल जाता हूँ सभी मैं भी कहा - सुना
    तू भी कहे - सुने को भुलाने की बात कर

    बहुत अच्छी ग़ज़ल।

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुन्दर ग़ज़ल..बधाई|
    रोने की बात कर न रुलाने की बात कर
    गर कर सके तो हँसने - हँसाने की बात कर
    लो , भूल जाता हूँ सभी मैं भी कहा - सुना
    तू भी कहे - सुने को भुलाने की बात कर
    हमको तो घर बसाने का देता है मशवरा
    तू भी तो अपने घर को बसाने की बात कर

    वाह किसे कहूँ उत्तम , और किसे कहूँ कम
    बहुत सरलता से बहुत कुछ कह दिया |

    सुधा ओम ढींगरा

    जवाब देंहटाएं
  10. vaah pran ji, kamaal kar diyaa. aapko parhanaa har baar bahut kuchh sikhataa bhi hai. badhai.

    जवाब देंहटाएं
  11. Wah Wah
    पहले ही बढ़ रही हैं मेरे दोस्त दूरियाँ
    लड़ने की बात कर न लड़ाने की बात कर
    yaha ladne ki baat kar .... perhaps....
    Let clarify it.

    जवाब देंहटाएं

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