
झुक गई थी जो नजर,तन कमान हो गई
राह की दुशवारियों से, अब कोई शिकवा नहीं
साथ जो तेरा मिला, मेरी राहें आसान हो गई
सिमटी सी चाहतों को जैसे, पँख हों मिल गये
हसरतें फ़िर से आज एक, खुली उडान हो गई
दिल से निकल बरसों, होठों पर जो रुकी रही
वो अनकही बातें सभी, खुलकर बयान हो गई
इक तमन्ना उदास लहरों पर, डूबती उतराती रही
छू लिया झुककर चांद ने जब, आसमान हो गई
रात के अंधेरों में रंग,सूर्ख-चाँदनी का भर गया
छोटी सी दुनिया मेरी, तारों का जहान हो गई
5 टिप्पणियाँ
दिल से निकल बरसों, होठों पर जो रुकी रही
जवाब देंहटाएंवो अनकही बातें सभी, खुलकर बयान हो गई
इक तमन्ना उदास लहरों पर, डूबती उतराती रही
छू लिया झुककर चांद ने जब, आसमान हो गई
बहुत खूब।
That's so beautiful... :)
जवाब देंहटाएंमनमोहक कविता
जवाब देंहटाएंachhi lagi kavita
जवाब देंहटाएंतुम मिले तो धूप भी,छत-मकान हो गई
जवाब देंहटाएंझुक गई थी जो नजर,तन कमान हो गई
अच्छी रचना
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.