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अमेरिका में दीपावली मेला [प्रवासी-समाचार] - रचना श्रीवास्तव

अंधकार पर प्रकाश की ,अज्ञान पर ज्ञान की ,और बुराई पर अच्छाई जी विजय का प्रतीक है दीपावली .प्रकाश के इस त्यौहार को डी अफ डब्लू इंडियन कल्चरल सोसईटी ने एक बड़े मेले के रूप में २००६ में मानना प्रारंभ किया था .तब से ये पारम्पर निरंतर चली आ रही है .इसी परंपरा के तहत इस बार पांचवां दीवाली मेला बहुत ही धूमधाम और शान से मनाया गया ,इस मेले में करीब ८० से ९० हजार लोग शामिल हुए.लोगों का आना जाना शाम से ही प्रारंभ होगया था .खाने पीने के ९० स्टौल थे जहाँ भारत के हर प्रदेश का खाना था. किड्स कौर्नर में बच्चों ने बहुत आनन्द उठाया .मेले में कहीं बन्जी जम्पिंक होरही थी तो कहीं बच्चे हाथी और ऊंट की सवारी कर रहे थे .बाहरी स्टेज पर देश के विभिन प्रान्त का नृत्य हो रहा था जिसको लोगो ने बहुत सराहा इस के लिए श्री कृष्ण परमार बधाई के पात्र हैं

डी ऍफ़ वाब्लू इंडियन कल्चरल सोसाईंटी के अध्यक्ष श्री सतीश गुप्ता जी से जब मेले की सफलता के बारे में बात की तो उन्होंने कहा की "ये हमारा पांचवां मेला है और हर बार ये पहले से बेहतर हुआ है .लोगों की संख्या में भी निरंतर वृद्धि हुई है इस बार ये मेला कॉटन बौल स्टेडियम में हुआ और बहुत हो सफल रहा .इस बार हमको डैलस के मेयर और आसपास के शहरों के मेयर का बहुत ज्यादा सहयोग मिला है .पहले जब हमने ये प्रारंभ किया था तो मन में शंका थी कि पता नहीं लोगों को पसंद आएगा या नहीं यहाँ के लोग क्या कहेंगे पर जैसे जैसे देसी लोग बढ़ते जा रहे हैं लोगों को हमारी सभ्यता और संस्कृति के बारे में पता चलता जा रहा है और अब हम को सभी का सहयोग मिलने लगा है .इस मेले की सफलता का श्रेय मेरे साथियों और स्वयं सेवियों को जाता है जिन्होंने दिनरात मेहनत की है "
डैलस रंगमंच द्वारा इस मौके पर रामलीला का आयोजन किया गया था। एक घंटे चली इस रामलीला ने सभी को मन्त्र मुग्ध कर दिया । रामायण के पात्रों की वेश-भूषा ,मंच सज्जा और पत्रों का अभिनय ऐसा था कि अमरीका में बसे भारतीयों को अपने बचपन के दिनों की रामलीला याद आ गई। लेखक, निर्देशक जयंत चौधरी ,और सोनल की कल्पनाशीलता ने रामलीला को दर्शकों के दिलो-दिमाग में ऐसा बसा दिया कि बच्चों से लेकर बूढ़े तक इसके एक एक दृश्य, संवाद और सुंदर प्रस्तुति को लेकर अपनी प्रशंसा के भाव छुपा नहीं पा रहे थे। सूत्रधार सोनल पौद्दार .और सौम्या सरन ने बहुत खूबी से इस भूमिका का निर्वाह किया .जिस की वजह से रामलीला और भी उत्तम हुई लेखक निर्देशक जयंत जी ने कहा की सभी के सहयोग के बिना रामलीला का संम्पन हो पाना अकल्पनीये था ,रावन दहन के साथ ही पूरा स्टेडियम जय श्रीराम के नारों से गुंजायेमान हो उठा .

दीवाली मेले को सफल बनाने में श्री रमेश गुप्ता जी का बहुत बड़ा योगदान है रमेश जी ने प्रायोजकों से ले के बौलीवुड शो तक सभी कुछ का बखूबी इंतजाम किया .इनकी कार्य कुशलता की जितनी प्रशंशा की जाये कम है श्री रमेश गुप्ताजी जो हर साल भारत से अमेरिका दिवाली मेले का आयोजन करने ही आते हैं उन्होंने बताया अमेरिका से भारतीय सर्दियों की और गर्मी की छुट्टियों में मुख्यतः भारत जाते हैं तो उनको कभी भी रामलीला देखने को नहीं मिल पाती है तो सोचा की हमारे बच्चे अपनी इस संस्कृति को भी देखें और इस का आनन्द लें। यही सोच के हम हर साल ये मेला सजाते हैं .रमेश गुप्ता जी ने आगे कहा की बिना प्रायोजकों के सहयोग से कार्यक्रम सफलता पूर्वक करना कठिन था ,हम सभी के बहुत बहुत आभारी हैं.और मै ह्रदय से सभी का धन्यवाद करता हूँ. राजन और उनकी टीम ने हमारी बहुत सहायता की है मै उनका भी बहुत आभारी हूँ .

मेले का अंतिम चरण था सुनिधि चौहान का कंसर्ट .लोग बेताबी से अपनी चाहिती गायिका का इंतजार कर रहे थे .उनके स्टेज पर आते ही पूरा स्टेडियम तालियों की गडगडाहट से गूंजा उठा .सुनिधि ने लोगों का भरपूर मनोरंजन किया ,इसके बाद इंडियन आइडल और बदमाश कम्पनी के चेंग ने भी लोगों का बहुत मनोरंजन किया .उनके गए गानों पर लोग झूमते नजर आये .यहाँ का साउंड सिस्टम बहुत अच्छा था श्री चाट गणेश जी ने .जिसका पूरा इंतजाम किया था .वो बधाई के पात्र हैं

स्टेडियम की सारी व्यवस्था अति उत्तम थी श्री यू के गुप्ता जी जो की बहुत अच्छे समझौता वार्ताकार (निगोशियेटर ) माने जाते हैं उनके कुशल मेनेजमेंट और निगोशियेशन कि वजह से स्टेडियम की अच्छी व्यवस्था संभव हो सकी .पूरा मेला बहुत ही अच्छी तरह से प्लान किया गया था सब कुछ सुनियोजित ढंग से हुआ .ये विभाग श्री वी के गुप्ता जीके पास था जिन्होंने बहुत अच्छी तरह इतने विभिन्न कार्यक्रमों को एक सूत्र में पिरो के माला सा बना दिया .डॉ नरेश गुप्ता जी जो की कैंसर क्लिनिक चलाते हैं उन लोगों की सहायता के लिए जिनके पास इन्शोरेंश नहीं है इस तरह से सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बहुत उत्साह से भाग लेते हैं और तन मन धन से सहायता करते हैं

रमेश गुप्ता जी ने एक बहुत सुंदर बात की उन्होंने कहा की वो अब मेले की सांस्कृतिक बागडोर नवजवान बच्चों को सौपना चाहते हैं अरिश अर्नव ,सुनैना ,विवेक और देव कौन्सर्ट की समाप्ति पर जी आतिशबाजी हुई बहुत देर तक चली .ऐसा लगता था कि पूरा आकाश दुधिया प्रकाश से भर गया हो .और लाल ,सफ़ेद ,हरे ,सुनहरे रंगों के फूल आकाश में खिल उठे हो . ये पूरा समां दर्शनीय था .मेले के बारे में जब लोगों से पूछा तो किसीने कहा की मुझको तो अपना बचपन याद आगया ,किसीने कहा मेरे बच्चों को हाथी और ऊंट की सवारी कर के बहुत आनद आया ,तो किसीने कहा मेले का पूरा आन्नद उठाया फिर रामलीला और सुनिधि का गाना गाना अन्त में आतिशबाजी मनोरंजन के लिए इससे ज्यादा कोई और क्या मांगेगा हम तो अगले दिवाली मेला का इंतजार करेंगे

मेला देखने के लिए लिटिल रौक .अरकेंसा,अर्डमोर ,फेड्विल,हीयूस्टन,औसटिन,शिकागो न्यू योर्क ,कैलिफोर्निया से लोग आये थे .इस मेले की खास बात ये थी कि इसमें भारतियों के अलावा.पाकिस्तानी ,नेपाली ,और अमेरिकन भी शामिल हुए

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