
कोई साथ आये, छूटे मंजिल पे बस नजर है|
महफिल में मुस्कुराना मुश्किल नहीं है यारो,
जो घर में मुस्कुराये समझो उसे जिगर है|
पी करके लड़खड़ाना और गिर के सम्भल जाना,
इक मौत जिन्दगी की दूजा नया सफर है|
जब सोचने की ताकत और हाथ भी सलामत,
फिर बन गए क्यों बेबस किस बात की कसर है|
हम जानवर से आदम कैसे बने ये सोचो,
क्यों चल पड़े उधर हम पशुता सुमन जहर है|
4 टिप्पणियाँ
अच्छी गज़ल
जवाब देंहटाएंkya baat hai bahut khoob
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएं-Alok Kataria
अच्छी रचना ... बधाई
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.