HeaderLarge

नवीनतम रचनाएं

6/recent/ticker-posts

रऊफ परवेज़ की ग़ज़लें [बस्तर शिल्पी अंक - 4]

[चित्र में साहित्य शिल्पी के सम्पादक राजीव रंजन प्रसाद के साथ रऊफ परवेज़]
**********
आज बस्तर शिल्पी में मिलिये इस अंचल के प्रमुख शायर श्री रऊफ परवेज़ से। परवेज़ जी का जन्म 19 जुलाई 1933 को हुआ था। आपनें शिक्षा बी.ए, एल.एल.बी तक प्राप्त की है। लम्बी साहित्य सेवा में आपकी कृतियां- कौसे कुजह (उर्दू में) 1997 में तथा शीशों के दरीचे 2003 में प्रकाशित हुई। आपकी अनेक रचनाओं का हिंदी उर्दू की विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशन होता रहा है साथ ही आकाशवाणीं और दूरदर्शन से भी आपकी रचनाओं का प्रसारण होता रहा है। आज प्रस्तुत है बस्तर के साहित्य शिल्पी श्री रऊफ परवेज़ की दो रचनायें -

शीशों के दरीचे से......

मेरे सागर से जो छलकती है,
वोह प्यास-ए-हयात होती है।

जिस में आलम का दर्द को पिनहां,
एक शाएर की जात होती है।

देर तक चश्म-ए-तर.......

देर तक चश्म-ए-तर देखते रह गए,
जब्ते गम का असर देखते रह गए।

शर्मगीं आंख लेकर वो क्या आ गए,
लोग नीची नजर देखते रह गए।

हुस्न का उनके आलम न कुछ पूछिये,
कितने शमस-ओ-कमर देखते रह गए।

शाख पर इक नशेमन बना भी लिया,
और बर्को शरर देखते रह गए।

दर्द ऐसा उठा जान ले ली मगर,
दूर से चारागर देखते रह गए।

जिन में परवाज का हौसला ही न या,
कैद में बालो पर देखते रह गए।

अपनी मंजिल को परवेज पा भी लिया,
यार ऐबो हुनर देखते रह गए।
------
[बस्तर शिल्पी के अंतर्गत रचनाओं और रचनाकारों को शरतचन्द्र गौड के माध्यम/सौजन्य से प्रस्तुत किया जा रहा है]

एक टिप्पणी भेजें

7 टिप्पणियाँ

  1. दर्द ऐसा उठा जान ले ली मगर,
    दूर से चारागर देखते रह गए।

    अच्छी ग़ज़ल। कुछ उर्दू शब्दों को समझने में मुश्किल है। साहित्य शिल्पी को उर्दू शब्दों के अर्थ भी देने चाहिये।

    जवाब देंहटाएं
  2. बस्तर शिल्पी अच्छी प्रस्तुतियाँ दे रहा है।

    जवाब देंहटाएं
  3. श्री अब्दुल रऊफ खान जी की रचनाओं से रूबरू कराने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  4. Zanaab Rauuf Parwez saahab bastar ke shaayaron mein sarwshreshtha hain. Unakii rachnaayon ke baare mein kuchh kahanaa maano suuraj ko diipak dikhaanaa hai. bhaaii Sharad Chandra Gaud aur saahitya-shilpii ko anekaanek badhaaiyaan.

    जवाब देंहटाएं
  5. श्री रऊफ परवेज़ की गजल पसंद आई.

    जवाब देंहटाएं
  6. lajwab......... bemisal........... adbhut.......... dard tapaka aansoo bankar.........

    जवाब देंहटाएं

आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.

आइये कारवां बनायें...

~~~ साहित्य शिल्पी का पुस्तकालय निरंतर समृद्ध हो रहा है। इन्हें आप हमारी साईट से सीधे डाउनलोड कर के पढ सकते हैं ~~~~~~~

डाउनलोड करने के लिए चित्र पर क्लिक करें...