[मिमियाती ज़िन्दगी दहाडते परिवेश संग्रह से आज प्रस्तुत है लाला जगदलपुरी की तीन ग़ज़लें - संपादक, साहित्य शिल्पी]
सांसों की गलियो, संभलो तुम,
आशा की कलियो, संभलो तुम!
बगिया में नीरस फूल तथा
कैक्टस हैं अलियो, संभलो तुम!
उन्हें रिझाया कोलाहल नें,
स्नेह की अंजलियो, संभलो तुम!
बुझा न दे तुम्हें कहीं आँसू
रोशनी के टुकडो, संभलो तुम!
सहानुभूतियों को पहिचानो
त्रासदी के गुरगो, संभलो तुम!
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कर दिया है तिमिर नें दुर्बल बहुत
अल्प-जीवी पुष्प इतना कर गया,
सूर्य को शबनम पिला कर झर गया।
साथ मेरे सिर्फ सन्नाटा रहा,
चांद सिरहाने किरन जब धर गया।
कर दिया है तिमिर नें दुर्बल बहुत,
मन अभागा रौशनी से डर गया।
लहलहाई ज़िन्दगी की क्यारियां,
किंतु सोने का हिरण सब चर गया।
हृदय तडपा तो छलक आये नयन,
हृदय तडपा तो छलक आये नयन,
स्नेह सारा हृदय हेतु निथर गया।
क्या करे कोई सुराही क्या करे,
क्या करे कोई सुराही क्या करे,
यदि किसी के कण्ठ में विष सर गया।
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नयी सुबह की सुधि में
नींद के गाँव एक सपन जागा,
प्रतिध्वनित सूनापन जागा।
गंध पी पी रजनीगंधा की,
गंध पी पी रजनीगंधा की,
मदिर-मदिर मधुर पवन जागा।
कुटीर सोया खुर्राटों में,
परंतु निर्दयी भवन जागा।
स्वयं परिचित नहीं स्वयं से ही,
कुटीर सोया खुर्राटों में,
परंतु निर्दयी भवन जागा।
स्वयं परिचित नहीं स्वयं से ही,
अविस्मरणीय विस्मरण जागा।
रात भर नयी सुबह की सुधि में,
रात भर नयी सुबह की सुधि में,
दीपक बार कर गगन जागा।
6 टिप्पणियाँ
बुझा न दे तुम्हें कहीं आँसू
जवाब देंहटाएंरोशनी के टुकडो, संभलो तुम!
सहानुभूतियों को पहिचानो
त्रासदी के गुरगो, संभलो तुम!
बहुत ही प्रभावी कवितायें हैं।
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साहित्य शिल्पी में कुछ तकनीकी दिक्कते हैं कि पेज खोलने में तथा टिप्पणी करने में असुविधा हो रही है।
लहलहाई ज़िन्दगी की क्यारियां,
जवाब देंहटाएंकिंतु सोने का हिरण सब चर गया।
बेमिसाल
सभी शेर बेहतरीन हैं। लाला जी को पढवाने के लिये धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअल्प-जीवी पुष्प इतना कर गया,
सूर्य को शबनम पिला कर झर गया।
साथ मेरे सिर्फ सन्नाटा रहा,
चांद सिरहाने किरन जब धर गया।
nice
जवाब देंहटाएं-Alok Kataria
हृदय तडपा तो छलक आये नयन,
जवाब देंहटाएंस्नेह सारा हृदय हेतु निथर गया।
क्या करे कोई सुराही क्या करे,
यदि किसी के कण्ठ में विष सर गया।
....
आहा....
रात भर नयी सुबह की सुधि में,
दीपक बार कर गगन जागा।
संवेदनशील मन की दहकती ज्वाला में लेखनी जो भी लिखती है...दूर तक पंहुचता है....नमन....
अच्छी गज़ल...बधाई
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.